अलवर.अलवर सहित पूरे प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर के बाद अब तीसरी लहर की चिंता सताने लगी है. सरकार और प्रशासन का पूरा फोकस तीसरी लहर पर है. क्योंकि तीसरी लहर में सबसे ज्यादा बच्चों को नुकसान पहुंचने की संभावना है. बच्चों को अभी तक पूरे देश में वैक्सीन नहीं लगी है. ऐसे में प्रशासन की परेशानी कई गुना बढ़ गई है.
अलवर की बात करें तो अलवर में भी बच्चे बड़ी संख्या में दूसरी लहर के दौरान ही संक्रमित हुए थे. अलवर में दूसरे लहर के दौरान चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए. पिछले 10 दिनों में 323 बच्चे संक्रमित हुए हैं. आगामी समय में यही हालात रहे तो बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है.
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कोरोना की अगर तीसरी लहर आई, तो बच्चों में खतरा बढ़ सकता है. इनमें एक साल तक का बच्चा भी शामिल है. अभी तक पहली और दूसरी लहर में संक्रमित सभी बच्चे होम आइसोलेशन में ही कोरोना को मात देने में कामयाब रहे हैं. अलवर जिले के हाल ही के आंकड़ों पर नजर डालें तो जिले में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए. 10 दिनों के दौरान ही बड़ी संख्या में बच्चे संक्रमित हुए.
जिले में कोरोना का खतरा बढ़ा तो बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए सरकारी स्तर पर न तो पीआईसीयू की व्यवस्था है और न ही वेंटीलेटर. राजकीय शिशु अस्पताल में सिर्फ 28 दिन तक के बच्चो को भर्ती करने के लिए 20 रेडियंट वार्मर का न्यूबोर्न केयर यूनिट एसएनसीयू है, लेकिन 28 दिन से 12 साल तक के बच्चों के लिए पीआईसीयू नहीं है. जिले के निजी अस्पतालों में भी सीमित संसाधन है.
इसके अलावा निजी अस्पताल की बात करें तो जिला मुख्यालय पर 3 या 4 निजी अस्पतालों में 25 बेड के पीआईसीयू की व्यवस्था है और करीब 10 वेंटीलेटर हैं. जिले की कुल करीब 42 लाख की आबादी में से 18 साल तक के बच्चों और युवाओ की संख्या करीब 16 लाख है. हालात ये हैं कि 12 साल तक के बच्चों के इलाज के लिए जिले में सरकारी और प्राइवेट स्तर पर 47 ही शिशु रोग विशेषज्ञ हैं. हालांकि तीसरी लहर की आशंका को लेकर निदेशालय ने सरकारी व्यवस्थाओ की रिपोर्ट मांगी है, लेकिन जिले के हालातों से साफ है कि अगर अलवर में तीसरी लहर का प्रभाव रहा तो लोग परेशान हो सकते हैं. क्योंकि दूसरी लहर के दौरान स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन के कामों की पोल खुलती नजर आई.