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'लोग क्या कहेंगे इससे मुझे फर्क नहीं पड़ता... साइकिल चलाना मुझे अच्छा लगता है'

जेएलएन मेडिकल कॉलेज के सहायक प्राचार्य डॉ. संजीव माहेश्वरी ने विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर सेहत और पर्यावरण को लेकर ईटीवी भारत से विशेष बातचीत की. इस दौरान माहेश्वरी ने कहा कि यह सोचना जरूरी नहीं है कि लोग क्या कहेंगे, बल्कि यह जरूरी है कि आपको क्या पसंद है. उनका कहना है कि इससे पर्यावरण के बचाव में सहयोग मिलता है. साथ ही खुद की फिटनेस के लिए भी साइकिलिंग फायदा पहुंचाती है.

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साइकिल से सेहत और पर्यावरण दोनों दुरुस्त

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Published : Jun 5, 2020, 9:28 PM IST

अजमेर. पूरे विश्व में पर्यावरण एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है. विकास की दौड़ में हम सब भूल गए हैं कि मानव जीवन के लिए पर्यावरण का शुद्ध होना बेहद जरूरी है. 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस है और आज के दिन पर्यावरण संरक्षण को लेकर बड़ी-बड़ी बातें होती है. लेकिन बहुत कम ऐसे लोग हैं जो पर्यावरण को बचाने के लिए अपने जीवन में बदलाव लाते हैं.

साइकिल से सेहत और पर्यावरण दोनों दुरुस्त

अजमेर में जेएलएन मेडिकल कॉलेज के सहायक प्रचार्य डॉ. संजीव माहेश्वरी लॉकडाउन के 70 दिन से आज तक घर से अस्पताल साइकिल से ही आते जाते हैं. बल्कि पूर्व में भी सर्दी के दिनों भी वह अस्पताल आने-जाने के लिए साइकिल का ही उपयोग करते हैं. ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में डॉ. माहेश्वरी ने कहा कि यह सोचना जरूरी नहीं है कि लोग क्या कहेंगे, बल्कि यह जरूरी है कि आपको क्या पसंद है.

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जेएलएन मेडिकल कॉलेज के सहायक प्राचार्य डॉ. संजीव महेश्वरी कोरोना वॉरियर्स है. वे जेएलएन अस्पताल में कोरोना के खिलाफ जंग में लगातार मरीजों की सेवा कर रहे हैं. 57 वर्षीय डॉ. माहेश्वरी बताते हैं कि बचपन में साइकिल, जवानी में मोपेड और नोकरी लगी तो घर में दो-दो कारें आ गईं. उन्होंने बताया कि ऐसा नहीं है कि वह अस्पताल आने-जाने के लिए कार का उपयोग नहीं कर सकते, लेकिन अस्पताल उनके घर से ढाई किलोमीटर की दूरी पर है तो ऐसे में आने-जाने के लिए वे साईकिल का उपयोग करते हैं.

जेएलएन मेडिकल कॉलेज के सहायक प्राचार्य डॉ. संजीव माहेश्वरी

पर्यावरण के बचाव में मिलता है सहयोग

माहेश्वरी का कहना है कि इससे पर्यावरण के बचाव में सहयोग मिलता है. साथ ही खुद की फिटनेस के लिए भी साइकिलिंग फायदा पहुंचाती है. डॉ. माहेश्वरी ने बताया कि इस उम्र में कई लोगों को घुटने की बीमारियां हो जाती है, लेकिन उनके घुटने फिट हैं. उन्होंने बताया कि सर्दियों के दिनों में वह अक्सर अस्पताल आने के लिए साइकिल का उपयोग करते हैं. उनका कहना है कि लॉकडाउन के कारण सड़कें खाली थी, तब से ही उनके घर से अस्पताल आने-जाने का माध्यम उनका साइकिल ही है.

कई लोग स्टेटस सिंबल के चक्कर में नहीं चलाते हैं साइकिल

सहायक प्राचार्य ने बताया कि कई लोग स्टेटस सिंबल के चक्कर में साइकिल नहीं चलाते हैं, उन्हें लगता है कि वह साइकिल चलाएंगे तो लोग क्या कहेंगे. माहेश्वरी ने कहा कि सबसे जरूरी है कि इस सोच को बदलें कि लोग क्या कहेंगे, आप वह करें जो आपको पसंद है. मुझे साइकिल चलाना पसंद है मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि लोग कहे कि डॉक्टर साहब साइकिल चलाते हैं.

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ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में माहेश्वरी ने कहा कि आज की परिस्थितियों में हर व्यक्ति को अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए व्यायाम जरूर करना चाहिए. इसमें साइकिल भी एक अच्छा विकल्प है. उन्होंने कहा कि कार्यस्थल यदि दूर है तो वाहन का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन यदि कार्यस्थल पास है तो साइकिल का उपयोग करने में कोई बुराई नहीं है.

साइकिलिंग से आती है प्रदूषण में कमी

माहेश्वरी का कहना है कि कई देशों के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और बड़ी-बड़ी शख्सियत अपने कार्यालय जाने के लिए साइकिल का उपयोग करते हैं. साइकिलिंग से अच्छी सेहत, इंधन की बचत और प्रदूषण में कमी आती है.

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