अजमेर. शहर के बीच से ट्रांसपोर्टर्स को ब्यावर रोड स्थित ट्रांसपोर्ट नगर में स्थानांतरित करने की प्रक्रिया को 20 साल बीत चुके हैं लेकिन आज भी ट्रांसपोर्ट नगर सुना है. 20 सालों में शहर की आबादी दोगुनी हो चुकी है. बावजूद इसके प्रशासन ट्रांसपोर्टर्स को ट्रांसपोर्ट नगर में सिफ्ट नहीं करवा पा रहा है. आखिर क्यों ट्रांसपोर्टर्स ट्रांसपोर्ट नगर में जाना नहीं चाहते.
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शहर में भारी वाहनों के प्रवेश से होने वाले हादसों एवं यातायात के बढ़ते दबाव और भविष्य की जरूरत को देखते हुए तत्कालीन नगर सुधार न्यास ने अप्रैल 2000 में ट्रांसपोर्टर्स को ट्रांसपोर्ट नगर में भूमि अलॉट करने के लिए लॉटरी प्रक्रिया पूरी की थी. उस वक्त करीब 200 बीघा भूमि पर 111 छोटे मध्यम और बड़े प्लॉट अलॉट किए गए. दो दशक बीतने को हैं लेकिन ब्यावर रोड स्थित ट्रांसपोर्ट नगर बस नहीं पाया. जबकि प्रशासन ने कई बार ट्रांसपोर्टर्स से वार्ता कर उन्हें शहर से दूर ट्रांसपोर्ट नगर में आवंटित भूमि पर निर्माण कर शिफ्ट होने के लिए कहा जा चुका है.
अजमेर ट्रांसपोर्टर्स यूनियन के पदाधिकारी भविष्य की जरूरत को समझते हैं और ट्रांसपोर्टर्स को शहर से ट्रांसपोर्ट नगर में शिफ्ट करवाने के पक्ष में भी हैं लेकिन नए और पुराने ट्रांसपोर्टर्स शहर के बीच स्थित अपने वर्षों पुराने गोदाम और दुकानों को छोड़कर नहीं जाना चाहते. इसके पीछे उनका स्वार्थ है. दरअसल शहर में ट्रांसपोर्ट के लिए ऑर्डर आसानी से मिल जाते हैं. दूसरा प्रत्येक ट्रांसपोर्टर के अन्य व्यवसाय भी है. ज्यादातर ट्रांसपोर्टर्स परचून के सामान का भी थोक व्यापार करते हैं. इसके लिए कृषि उपज मंडी में गोदाम भी किराए पर ले रखें.
25 से 30 प्लॉट पर शुरू हुआ निर्माण
यहीं वजह है कि अधिकांश ट्रांसपोर्टर्स ट्रांसपोर्ट नगर में नहीं जाना चाहते. हालांकि प्रशासन ने कुछ सख्ती की है. जिस वजह से ट्रांसपोर्ट नगर में 25 से 30 प्लॉट पर निर्माण शुरू हो गया है. खास बात यह है कि बड़े-छोटे प्लॉट अभी भी खाली पड़े हैं. ट्रांसपोर्ट नगर में ट्रांसपोर्टर्स की सुविधा के लिए यूनियन ऑफिस रेस्टोरेंट्स, पेट्रोल पंप भी प्रस्तावित है. लेकिन ट्रांसपोर्टर्स की रूचि स्थानांतरित नहीं होने की वजह से यह सभी प्रस्तावित योजनाएं खटाई में पड़ी हुई हैं
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ट्रांसपोर्टर्स को क्या दिक्कतें आ रही हैं ?
यूनियन के महामंत्री श्रीनिवास बाहेती बताते हैं कि भविष्य में कभी ना कभी तो ट्रांसपोर्टर्स को ट्रांसपोर्ट नगर में शिफ्ट होना ही पड़ेगा. प्रशासन इसके लिए पूरी तरह से सहयोग कर रहा है. हालांकि बाहेती ने भी माना कि ट्रांसपोर्टर्स स्वार्थ की वजह से ट्रांसपोर्ट नगर में आना नहीं चाहते. प्रशासन के सख्त रवैये से ट्रांसपोर्ट नगर में शिफ्ट हुए कुछ ट्रांसपोर्टर्स की अपनी समस्याएं हैं. ट्रांसपोर्ट कंपनी के प्रतिनिधि महेंद्र ने बताया कि ट्रांसपोर्ट नगर में सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है. चारों ओर से खुला होने के कारण आसपास के होटल और अन्य व्यवसायिक प्रतिष्ठानों से कचरा ट्रांसपोर्ट नगर की भूमि पर डाला जाता है.
सुरक्षा के इंतजामों पर सवाल
उन्होंने बताया कि बिजली विभाग ने ट्रांसपोर्ट नगर में पोल और केबल लगाए गए हैं. लेकिन कई जगह उनको तारों को ढका नहीं है. जिस कारण दुर्घटना का हमेशा डर बना रहता है. उन्होंने बताया कि ट्रांसपोर्ट नगर में सुनसान होने की वजह से असामाजिक तत्वों का रात को जमावड़ा लगा रहता है. जिस कारण चोरी और गंभीर घटना होने का हमेशा डर बना रहता है. फिलहाल कुछ ही ट्रांसपोर्टर्स ने यहां अपने गोदाम और दफ्तर के बनाए हैं. इनमें भी शिफ्ट बहुत ही कम ट्रांसपोर्टर्स हुए हैं. जिस कारण ट्रांसपोर्टर्स और उनसे जुड़े लोगों की संख्या भी यहां काफी कम है.
अपने स्वार्थ के चलते ट्रांसपोर्टर्स शहर के बीच से हिलना नहीं चाहते. आमजन की तकलीफ से ट्रांसपोर्टर्स को कोई सरोकार नहीं है. सड़कें चौड़ी होने के बावजूद शहर के बीच ट्रांसपोर्टर्स के अतिक्रमण और उनके लोडिंग वाहनों से सड़कें यातायात के लिए आधी ही रह जाती हैं. शहर के बीच कैसरगंज पड़ाव, उसरी गेट, डिग्गी बाजार, सीताराम बाजार, श्री टॉकीज क्षेत्र में ट्रांसपोर्टर्स के दफ्तर और गोडाउन हैं. स्थानीय लोग चाहते हैं कि 20 साल में शहर की आबादी दोगुनी हो चुकी है. ऐसे में ट्रांसपोर्टर्स को ट्रांसपोर्ट नगर में शिफ्ट हो जाना चाहिए. इससे शहर में यातायात सुगम होगा वहीं हादसों पर रोक भी लगेगी.
प्रशासनिक लचरता की वजह से नौ दिन चले ढाई कोस की कहावत चरितार्थ हो रही है. एक और अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने की कवायद जारी है. वहीं दूसरी ओर लोगों की सुविधा के लिए बनी योजना को लंबित कर असुविधाओं में बदला जा रहा है.