अजमेर. अजमेर में नगर निगम के वार्डों के परिसीमन के बाद राजनीतिक समीकरण और जातीय समीकरण भी बदल गए हैं. पहले नगर निगम के 60 वार्ड थे जो परिसीमन के बाद 80 हो गए हैं. इस कारण चुनाव में कांग्रेस और भाजपा में नए चेहरों को भी मौका मिला है. इस बार निगम के चुनाव का काफी दिलचस्प होने वाले हैं. इस चुनावी मैदान में निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या अधिक है. जो कई पार्टी के उम्मीदवारों की गणित बिगाड़ रहे हैं, तो कई का गणित बना भी रहे हैं. रिपोर्ट देखिये...
अजमेर नगर निगम चुनाव का फाइनल काउंटडाउन अजमेर में निर्दलीय उम्मीदवार भी पूरे जोर से ताल ठोंक रहे हैं. कई वार्डों में तो निर्दलीय उम्मीदवार मजबूत स्थिति में भी हैं. अजमेर नगर निगम में 30 वर्षों से भाजपा का कब्जा रहा है. हालांकि मेयर पद के सीधे चुनाव में एक बार कांग्रेस बाजी मार चुकी है. तब कमल बाकोलिया कांग्रेस से मेयर बने थे. अजमेर शहर दो विधानसभाओ में विभाजित है. यहां यह बताना जरूरी है कि नगर निगम चुनाव में हारे-जीते विधायकों की भूमिका महत्वपूर्ण रहती है.
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अजमेर उत्तर और दक्षिण विधानसभा में लगातार चौथी बार भाजपा के विधायक जीतते आए हैं. अजमेर उत्तर से वासुदेव देवनानी और दक्षिण क्षेत्र से अनिता भदेल चौथी बार विधायक हैं. भाजपा की बात करें तो देवनानी और भदेल को उम्मीदवारो के चयन में फ्री हैंड मिला है. चूंकि दोनों 17 वर्षों से विधायक हैं. ऐसे में कार्यकर्ताओं की उम्मीदें उनसे ज्यादा थीं. यही वजह है कि टिकट वितरण के बाद भाजपा को भी बगावत झेलनी पड़ रही है.
निर्दलीय प्रत्याशियों ने मुकाबला बनाया दिलचस्प कई वार्डो में बागी बन कर भाजपा के कार्यकर्त्ता निर्दलीय मैदान में डटकर पार्टी के उम्मीदवारों को चुनौती दे रहे हैं. हालांकि भाजपा 80 वार्डों में उम्मीदवारों को खड़ा करने में कामयाब रही. दूसरी तरफ कांग्रेस में वर्षों से कायम गुटबाजी इस बार भी साफ देखी गई. हालत ये है कि आपसी खींचतान के चक्कर में कांग्रेस ने 6 वार्डों में अपने प्रत्याशी ही नहीं उतारे. इनमें से वार्ड 29 में भाजपा प्रत्याशी हेमलता खत्री निर्विरोध निर्वाचित हो गई.
कांग्रेस में उम्मीदवारों के चयन मैं सभी गुट के नेताओं को शामिल किया गया. लेकिन पूर्व विधायक राजकुमार जयपाल और शहर अध्यक्ष विजय जैन की जुगलबंदी ने अजमेर उत्तर से महेंद्र सिंह रलावता और दक्षिण से हेमंत भाटी के मंसूबों पर पानी फेर दिया. इधर पूर्व विधायक डॉ श्रीगोपाल बाहेती हाथ मलते रह गए. राजनीति के जानकार एसपी एसपी मित्तल की मानें तो कांग्रेस और भाजपा के असंतुष्ट लोगों ने निर्दलीय चुनाव में ताल रखी है.
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अजमेर नगर निगम 80 वार्ड में 382 उम्मीदवार अपने भाग्य आजमा रहे हैंं. इनमें 217 निर्दलीय उम्मीदवार हैं. जबकि कांग्रेस के 74 और भाजपा के 80 उम्मीदवार मैदान में हैं. इसके अलावा 11 आरएलपी और 4 बसपा के उम्मीदवार भी शामिल हैं.
परिसीमन के कारण वार्ड बढ़ने से नए चेहरों को भी राजनीतिक पार्टियों से मौका मिला है. 80 वार्डों में उम्मीदवारों की बढ़ी संख्या के दो कारण माने जा रहे हैं. असंतुष्ट कार्यकर्त्ताओं का प्रतिशोध और दूसरा पार्षद पद में मिलने वाला सम्मान और पहचान बढ़ते आकर्षण की वजह है. यही वजह है कि नगर निगम चुनाव में कई पेशेवर लोग भी अपना भाग्य आजमा रहे हैं. इनमें व्यापारी जमीनों के कारोबारी भी शामिल हैं.
पार्षद के चुनाव को राजनीति के पहली सीढ़ी माना जाता है. इसमें पद में जनसेवा की भावना होती है. चुनावी समर में डटे उम्मीदवार अपने को जनसेवक के रूप में प्रदर्शित कर जनता के समक्ष वोट मांग रहे हैं. वार्डों की समस्याओं को मुद्दा बनाकर समस्याओं का निराकरण करवाने के वादे जनता से कर रहे हैं.
नगर निगम चुनाव का रोचक पहलू यह भी है कि पार्टी के उम्मीदवारों को अपनी ही पार्टी के कार्यकर्त्ताओं की बगावत झेलते हुए प्रतिद्वन्द्वी पार्टी से मुकाबला करना पड़ रहा है. लिहाजा यह कहा सकता कि निर्दलीयों की बाढ़ में कांग्रेस और भाजपा के ज्यात्तर उम्मीदवारों को पार पाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है.
अब 31 जनवरी को यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनावी घमासान में नगर निगम के 80 वार्डों के पार्षद चेहरे कौन होते हैं.