अजमेर.6 दिसंबर 1992 का दिन फॉयसागर रोड स्थित प्रेमनगर निवासी माणकचंद माहेश्वरी का परिवार का कभी नहीं भूल पाएगा. माहेश्वरी परिवार के मन और घर का एक कोना आज भी खाली है. यह वो दिन है जब माहेश्वरी परिवार का 20 वर्षीय घर का 'चिराग' अयोध्या में कारसेवा के दौरान बुझ गया था. अयोध्या में कारसेवा के दौरान हुई आपात स्थिति में स्वास्थ्य सेवा टीम में योगदान दे रहे अजमेर के अविनाश माहेश्वरी की मौत बम फटने से हुई थी.
1992 में अयोध्या में कारसेवा के लिए लाखों लोग देशभर से पहुंचे थे. इनमें अजमेर से भी 28 कारसेवक सदस्यों में 20 वर्ष का नौजवान अविनाश माहेश्वरी सेवा संकल्प के साथ 26 नवंबर को अयोध्या गया था. जहां उसे मेडिकल टीम के साथ सेवा कार्य में जोड़ दिया गया. इस दौरान अविनाश ने अपनी बड़ी बहन सुमन काबरा को उनके जन्मदिन पर पत्र लिखा. जिसमें शुभकामनाओं के साथ अपने सकुशल होने का समाचार उसने लिखा. साथ ही जल्द अगला पत्र भेजने के लिए भी लिखा. लेकिन वो पत्र अविनाश का आखिरी पत्र था.
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6 दिसंबर का दिन जब राम मंदिर आंदोलन चरम पर था, उस दौरान कई लोग जख्मी हुए और कई लोगों ने अपने प्राण गंवाए. जिनमें अविनाश भी एक था. अजमेर का युवा अविनाश माहेश्वरी आपातकाल की सूचना मिलने पर घायल लोगों की सेवा के लिए आगे बढ़ा. अविनाश ने अपने दोस्त सुरेंद्र को एंबुलेंस के साथ आगे भेजा और खुद दूसरी एंबुलेंस में पीछे निकल पड़ा. इस दरमियान त्रिमूर्ति चौराहे पर अधिक भीड़ होने से वह रुक गया. बहन सुमन माहेश्वरी बताती है कि अविनाश को क्रिकेट का बहुत शौक था. त्रिमूर्ति चौराहे पर अविनाश ने 1 गेंद उसकी और आते हुए देखी उस गेंद को अविनाश ने लपक लिया.
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अविनाश के हाथों में गेंद नुमा वह वस्तु बम थी. जिसको अविनाश ने उसी और उछाल दिया जिस ओर से वह गेंद आई थी. लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था वह गेंद नुमा वस्तु दीवार से टकराकर वापस लौट आई और अविनाश के पास ब्लास्ट हो गई. अयोध्या में कारसेवा के लिए गए अविनाश की 6 दिसंबर को मौत की खबर आई. कर्फ्यू के बीच बामुश्किल अविनाश का शव उसके घर पहुंच सका.
कार्यक्रम का निमंत्रण नहीं मिला