अजमेर. जिले के नया बाजार में अकबरी किले के नजदीक की इमारत पर एक हेरिटेज फिल्म लाइब्रेरी और थिएटर है, जिसमें आज तक किसी भी फिल्म का संचालन नहीं हो पाया है. साथ ही चौंकाने वाली बात ये भी है कि शहरवासियों तक को पता नहीं कि अजमेर में फिल्म लाइब्रेरी और थिएटर मौजूद है. अब ऐसा लगने लगा है कि ये थिएटर राजनीति की भेंट चढ़ रहा है.
दरअसल, ये लाइब्रेरी उत्तर भारत की एकमात्र दुर्लभ और प्राचीन ऐतिहासिक फिल्मों की लाइब्रेरी है, जिसका 6 अक्टूबर 2018 को तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के सभागार में उद्घाटन किया था. लेकिन कर्मचारियों की कमी के चलते अभी तक इस लाइब्रेरी और थिएटर का संचालन नहीं हो पाया है.
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इस फिल्म लाइब्रेरी को बनाने में करीब दो करोड़ रुपये खर्च किया जा चुका है. ये वो लाइब्रेरी है, जो साल 1952 से अजमेर रोडवेज बस स्टैंड के सामने शिक्षा विभाग के आईटी सेल में संचालित थी. डिजिटलाइजेशन के बाद इस लाइब्रेरी को अजमेर के नया बाजार में शिफ्ट किया है. इस लाइब्रेरी में दो थिएटर है, जिसमें 16 लोगों को बैठने की व्यवस्था है. थिएटर एसी और एचडी साउंड से भी युक्त है. साथ ही यहां सिंगल व्यक्ति के लिए भी फिल्म देखने के लिए कंप्यूटर की व्यवस्था की गई है.
अजमेर में हेरिटेज फिल्म लाइब्रेरी और थिएटर का आज तक नहीं हो सका संचालन साथ ही लोगों को बैठने के लिए दो हॉल का निर्माण भी किया गया है, जो कि 3 डी लुक में बनाया गया है. इस लाइब्रेरी में साल 1952 से साल 1990 तक की बनी देश में डॉक्यूमेंट्री, सरकारी योजनाओं, वैज्ञानिक आविष्कारों और देशभक्ति की फिल्मों की रील मौजूद है. साथ ही साल 1990 से साल 2005 तक इस्तेमाल होने वाली वीसीआर की कैसेट भी मौजूद है. फोटो रील के जरिए दिखाई जाने फिल्में भी यहां मौजूद है.
बता दें कि साल 2013 में भाजपा ने राजस्थान में बहुमत हासिल कर सरकार बनाई थी, जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को अजमेर की फिल्म लाइब्रेरी की दुर्दशा के बारे में जानकारी मिली तो उन्होंने तुरंत अजमेर का दौरा कर लाइब्रेरी का निरीक्षण किया. साल 2016 में ही फिल्म लाइब्रेरी के निर्माण के लिए दो करोड़ रुपए जारी कर दिए गए. इसका कार्य अजमेर विकास प्राधिकरण को सौंप दिया गया. प्राधिकरण द्वारा एक दल बनाया गया, जिसे महाराष्ट्र और पुणे भेजा गया. यहां फिल्म लाइब्रेरी देखकर अजमेर की फिल्म लाइब्रेरी में थिएटर का निर्माण गया और उसे पुरातत्व विभाग को सौंप दिया गया.
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वहीं, साल 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा हेरिटेज फिल्म लाइब्रेरी और थिएटर के लिए अलग से दो करोड़ का बजट पास किया गया और 6 अक्टूबर 2018 को इस लाइब्रेरी का उद्घाटन भी कर दिया गया था, लेकिन फिल्म लाइब्रेरी में थिएटर के निर्माण के बाद जब इसकी जिम्मेदारी पुरातत्व विभाग को दी गई तो वो इसे संभाल नहीं सका. इसकी वजह कर्मचारियों की कमी बताई गई.
इसके लिए विभाग ने दो बार टेंडर भी निकाले, लेकिन किसी कंपनी ने इसमें रुचि नहीं दिखाई. वहीं, शिक्षा विभाग के आईटी सेल स्टेशन के टेक्नीशियन इसका रखरखाव किया जा रहा है, लेकिन उनका पद भी खत्म कर दिया गया है.