अजमेर.पूर्व राज्य मंत्री एवं प्रदेश भाजपा प्रवक्ता अनिता भदेल ने भारत में बनी कोरोना वैक्सीन को लेकर की जा रही राजनीति को गलत ठहराया है. उन्होंने कहा कि कोरोना वैक्सीन बीजेपी ने नहीं बनाई है, यह वैज्ञानिकों की मेहनत का नतीजा है. वैज्ञानिकों के प्रति कृतज्ञता और उन्हें धन्यवाद देने के बजाय वैक्सीन पर अनर्गल बयानबाजी नहीं करनी चाहिए. भदेल ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि पूरा विश्व कोरोना से जूझ रहा है. दुनिया में कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन तैयार की जा रही है. भारत में एक नहीं, दो-दो कोरोना वैक्सीन बनाई है.
अनिता भदेल ने भारत में बनी कोरोना वैक्सीन को लेकर की जा रही राजनीति को गलत ठहराया... इसलिए कोरोना वैक्सीन बनाने वाले वैज्ञानिकों को नमन करना चाहिए. लेकिन, कुछ राजनीतिक पार्टियों के नेता अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि वैक्सीन बीजेपी ने नहीं बनाई है और ना ही किसी वैज्ञानिक पर बीजेपी की छाप है. वैज्ञानिक देश सेवा और मानव जाति के लिए काम कर रहे हैं. उनकी मेहनत पर राजनीतिक करना और बयानबाजी करना उचित नहीं है. इसको देश के लोग बर्दाश्त नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि वैक्सीन लोगों को कैसे लगे. लोगों तक वैक्सीन कैसे पहुंचे और इसकी रेट कैसे कम हो, अगर इस पर चर्चा होती तो यह सार्थक बहस होती.
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2 वर्षों में तबादला नीति नहीं बना सके...
पूर्व राज्य मंत्री एवं प्रदेश भाजपा प्रवक्ता अनिता भदेल ने गहलोत सरकार पर शिक्षा का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया है. भदेल ने कहा कि कांग्रेस ने घोषणा पत्र में लिखा था कि तबादला नीति बनाएंगे. सरकार को 2 वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक तबादला नीति नहीं बनी. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार राजस्थान में जब से सत्ता में आई है, तब से सरकारी उपक्रमों और संसाधनों का राजनीतिक फायदा उठाया जा रहा है. उन्होंने बरेली सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय अजमेर का उदाहरण देते हुए कहा कि कॉलेज के प्राचार्य राजनीतिक रैलियों में शिक्षक और स्टाफ को बसों में भरकर ले गए थे. यह राजनीति का घटिया स्तर है.
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विद्यार्थियों को शिक्षित करने के बजाए शिक्षक मंत्रियों की चापलूसी करने में भागदौड़ करते हैं, जो गलत है. कई कॉलेज व्याख्याताओं के खाली पद रिक्त पड़े हैं, तो कई जगह एक ही विषय के 4 शिक्षकों को एक साथ लगाया जा रहा है. इससे विद्यार्थियों का कोई हित नहीं है. बाड़मेर पाली जैसे जिलों में कॉलेजों में कई सारे पद खाली पड़े हैं. सभी व्याख्याता जयपुर-अजमेर राजधानी के इर्द-गिर्द जिला मुख्यालय पर बैठे हैं, तो ऐसे तबादलों का कोई फायदा नहीं है.