Khandwa Dadaji Darbar: खंडवा में कहां लगाया जाता है टिक्कड़ और चटनी का भोग, गुरुपूर्णिमा पर पहुंचते हैं लाखों श्रद्धालु
खंडवा। देश का एक ऐसा अनोखा मंदिर खंडवा में है, जहां संत की समाधि पर टिक्कड़ और चटनी का भोग लगता है. आमतौर पर मंदिर में मेवे और मिश्री और मिठाई के भोग लगते हैं (Khandwa Dadaji Darbar prasad Tikkad and Chutney), लेकिन यहां टिक्कड़ प्रसादी के लिए लंबी कतार लगती है. यह मंदिर है खंडवा के अवधूत संत धूनीवाले दादाजी महाराज का है. दादाजी महाराज (Khandwa Dadaji Darbar) का दरबार भी कहा जाता है. धूनीवाले दादाजी महाराज को गेहूं के आटे से बना टिक्कड़ पसंद था. उन्होंने इस अनोखी परंपरा की शुरुआत की थी. भक्त और भगवान की बीच की दूरी को मिटाने के लिए शुरू की गई यह परंपरा आज भी निरंतर रूप से चालू है. टिक्कड़ को आज भी चूल्हे पर लकड़ी जलाकर सेवादारों द्वारा तैयार किया जाता है. रोटी के आकार के टिक्कड़ की मोटाई अधिक होने से इसे विशेष तरीके से सेंका जाता है. इसे लकड़ी की आंच पर दोनों तरफ से फूलने पर ही पका हुआ माना जाता है. गुरुपूर्णिमा पर दस गुना अधिक मात्रा में टिक्कड़ प्रसाद बनाया जाता है. पटेल सेवा समिति के अध्यक्ष मदन ठाकरे ने बताया कि दादाजी इसे महा प्रसाद मानते थे.