विदिशा। पूरे देश में एक ही दो स्थानों पर चलित रामलीलाओं का मंचन होता है, जिसमें से एक है मध्यप्रदेश का विदिशा जिला, जहां जिला मुख्यालय पर परतंत्र भारत से 122 वर्षों से विदिशा की रामलीला का मंचन होते आ रहा है. बीती रात 40 हजार से अधिक लोगों की मौजूदगी में भगवान श्रीराम ने दशानन का वध कर असत्य पर सत्य की जीत की. इस ऐतिहासिक रामलीला में हर दिन रामयण से जुड़े सारे प्रसंगों को चलित रूप से श्रीरामलीला स्टेडियम में ही खेला जाता है. इस कमेटी के पदेन अध्यक्ष कलेक्टर होते हैं. साथ ही शासन के गजट में इस रामलीला का विधान है और राज्यपाल के अनुमोदन से ही इसके सदस्य मनोनीत किए जाते हैं. जिसमें अप्रत्यक्ष रूप से मुख्यमंत्री की भी भूमिका चिन्हित होती हैं. यह अपने आप मे अनूठी रामलीला है. जिसे विदेश के अनेकों देशों मे इंटरनेट से देखा जाता है.
विश्व विख्यात है ये रामलीला: हर साल होने वाली ऐतिहासिक श्रीरामलीला मेले कि चलित रामलीला का मंचन समूचे विश्व में विख्यात है. स्थानीय कलाकारों द्वारा मंचित होने वाली इस रामलीला में आज श्रीराम और रावण के बीच माया युद्ध का महासंग्राम करते हुए 40 फुट ऊंचे रावण का दहन किया गया. जिसमें विदिशा, भोपाल और राघौगढ़ के कलाकारों के बीच आकर्षक आतिशबाजी मुकाबला भी देखने को मिला. लगभग 8 घंटे तक श्रीराम का लंकाधिपति रावण से युद्ध हुआ और अंततः रात 12 बजे के लगभग ऐतिहासिक रावण बध हुआ. जिसे देखने के लिए करीब 40 हजार श्रद्धालु पहुंचे थे. वहीं रामलीला क्षेत्र में चप्पे-चप्पे पर व्यापक पुलिस सुरक्षा की गई थी, इस दौरान नौ देवियों की झांकियां विशेष आकर्षण का केंद्र थी. मेला समिति के अध्यक्ष कलेक्टर उमाशंकर भार्गव ने भी इसे अनूठा और ऐतिहासिक बताया. आकर्षक आतिशबाजी में रावण के आंख से निकलती ज्वाला नाभि में घूमता चक्र और माया युद्ध, विशालकाय रावण की लीला वाकई देखते बनती थी. 14 जनवरी से 9 फरवरी तक चलने वाली रामलीला और यहां का मेला और मेले में विद्युत सज्जा और देश भर से आए झूले खेल-तमाशे यहां विशेष आकर्षण पैदा कर रहे थे.