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आदिवासियों ने वनाधिकार पट्टों के सर्वे में लगाया भ्रष्टाचार का आरोप, कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

टीकमगढ़ जिले में आदिवासियों का जितना कब्जा है, उतना रकवा सत्यापन सर्वे में नहीं दर्शाया जा रहा है. एमपी वन मित्र ऐप से भी सर्वे नहीं किया जा रहा है, जिसको लेकर एकता परिषद के सैकड़ों लोगों ने प्रदर्शन कर कलेक्टर ने नाम डिफ्टी कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा.

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Published : Mar 4, 2020, 9:52 AM IST

Updated : Mar 4, 2020, 10:49 AM IST

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वनाधिकार पट्टों सर्वे में लगाया भ्रष्टाचार का आरोप

टीकमगढ़। जिले में आदिवासियों को मिलने वाले वनाधिकार पट्टों को लेकर हजारों आदिवासियों के साथ छलावा कर अन्याय किया जा रहा है. एकता परिषद के जिला संयोजक और आदिवासियों ने प्रदर्शन करते हुए वनाधिकार पट्टा सर्वे में जमकर भ्रष्टाचार होने के आरोप लगाए हैं, साथ ही डिफ्टी कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है.

वनाधिकार पट्टों सर्वे में लगाया भ्रष्टाचार का आरोप

आदिवासियों का कहना है कि, जिन गांवों में आदिवासी वन विभाग की भूमि पर काबिज हैं, उसमें सभी को काब्जा नहीं दिखाया जा रहा है और उनको जमीन से हटाया जा रहा है, जिसमे वन विभाग के बीट गार्ड, हल्का पटवारी और पंचायत सचिव और दबंग मिलकर आदिवासियों को वहां से हटा रहे हैं. उनका कहना है कि, जो सर्वे किया जा रहा है उसमें जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है.

वहीं जिला महिला कांग्रेस की अध्यक्ष राजकुमारी ने अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है. इनका कहना है कि, आदिवासियों को जमीनों पर से वन विभाग जबरन हटा रहा है, जबकि यह कई सालों से इन पर काबिज हैं. सरकार और प्रशासन को सभी आदिवासियों को वन अधिकार के तहत पट्टे प्रदान करना चाहिए.

बता दें कि, आदिवासियों को वन विभाग की भूमि से बेदखल किया जा रहा है, जबकि 2005 से जितने भी आदिवासी वन विभाग की जमीन पर खेती कर रहे हैं और कब्जा हैं उन सभी जमीनों का सर्वे कर आदिवासियों को पट्टे बनाकर देने का प्रावधान है.

Last Updated : Mar 4, 2020, 10:49 AM IST

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