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वनरक्षक की मौत के बाद सहायता राशि देने के लिए क्लर्क ने मांगी रिश्वत

टीकमगढ़ वन विभाग में पदस्थ आदिवासी वनरक्षक की मृत्यु के करीब 5 माह बाद भी मृतक के परिवार को अभी तक सहायता राशि नहीं मिली है. परिजनों ने वन मंडल के क्लर्कों पर आरोप है कि, आज तक उन लोगों पैसों का कोई हिसाब-किताब नहीं किया है. सहायता राशि देने के बदले उनसे रिश्वत मांगी जा रही है.

No assistance received after the death of tribal forest guard in Tikamgarh
वनरक्षक की मृत्यु के बाद नहीं मिली सहायता राशि

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Published : May 8, 2020, 3:34 PM IST

टीकमगढ़।जिले का वन विभाग वर्तमान में लगातार चर्चा और विवादों में घिरा हुआ है. जहां एक नया विवाद सामने आया है, जिसमें एक आदिवासी वनरक्षक हरिलाल सौर जिसकी मृत्यु करीब 5 माह पहले हो चुकी थी. उसका परिवार आज दाने-दाने के लिए मोहताज है. परिजनों ने वन मंडल के क्लर्कों पर आरोप है कि, आज तक उन लोगों ने लिपिक के पैसों का कोई हिसाब-किताब नहीं किया है. सहायता राशि देने के बदले उनसे रिश्वत मांगी जा रही है.

अब तक नहीं मिली सहायता राशि

आदिवासी वनरक्षक के बेटे वीरेंद्र सौर ने बताया कि, उनके पिता की मृत्यु करीब 5 माह पहले हो चुकी है. इसकी सूचना तत्काल जिला वन मंडल अधिकारी को दी गई और लिखित में आवेदन दिया गया कि, तत्काल मिलने वाली अंत्येष्टि की राशि मृतक के परिवार को दी जाए, लेकिन एक पैसे की मदद नहीं मिली. वीरेंद्र सौर नेवन मंडल में पदस्थ क्लर्क सफीक मोहम्मद पर आरोप लगाया है कि, उन्होंने आज तक पीड़ित परिवार की कोई भी मदद नहीं की है. जबकि उच्चाधिकारी कई बार मौखिक रूप से क्लर्क को सचेत कर चुके हैं. ऐसे में पीड़ित परिवार ने जैसे तैसे- उधार लेकर अपने पिता की अंत्येष्टि की.

क्लर्क ने की थी रिश्वत की मांग

मृतक के परिवार को अभी तक कोई भी शासकीय मदद और उसके फंड का पैसा नहीं दिया गया है. जिसके कारण पीड़ित परिवार उधार मांग कर जीवन यापन करने के लिए बाध्य है. जब भी पीड़ित परिवार के सदस्य अधिकारियों के पास जाते हैं, तो उन्हें एक-दो दिन का आश्वासन देकर वापस कर दिया जाता है. वीरेंद्र सौर ने आरोप लगाया कि, वन विभाग में पदस्थ क्लर्क ने काम कराने के लिए एक हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी, जो उसे दिया गया है. इसके बावजूद 5 माह तक कोई भी मदद पीड़ित परिवार को नहीं मिली है.

अधिकारियों और क्लर्क की कार्यशैली पर सवाल

टीकमगढ़ और निवाड़ी वन विभाग पिछले कई महीनों से चर्चा में है. कुंडेश्वर से ओरछा जो चीतल लाए गए थे, उनमें कई मारे गए. हाल ही में एक वनरक्षक ने शराब पीकर क्वारंटाइन सेंटर में हंगामा किया था. आदिवासी परिवार दाने-दाने को मोहताज है. ऐसे में कहीं ना कहीं अधिकारियों की मिलीभगत सामने आ रही है.

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