टीकमगढ़। कोरोना वायरस का कहर थमने की बजाय तेजी से बढ़ रहा है, इसे रोकने के लिए अब तक कारगर हथियार हाथ नहीं लगा. कोरोना की दस्तक के बाद किए गए लॉकडाउन के बाद जिंदगी बेपटरी हो गई है. उद्योग धंधों से लेकर दुकान, व्यापार सब कुछ थम गया. कोई बेरोजगार हो गया, तो किसी की जिंदगी भर की कमाई कोरोना काल के गाल में समा गई. घर से दूर परदेश में रहकर मजदूरी करने वाले लोगों के हाल भी बेहाल हैं. जिले के खरगारपुर के मजदूर रोजगार नहीं मिलने से पलायन करने को मजबूर हो गए हैं और दर्जनों की संख्या में दूसरे राज्यों का रुख कर रहे हैं.
टीकमगढ़: मनरेगा में नहीं मिला रोजगार तो पलायन कर गए दर्जनों परिवार
केंद्र और प्रदेश सरकार ने मनरेगा के तहत मजदूरों को स्थानीय स्तर पर रोजगार देने का भरोसा दिया था, लेकिन सरकार का ये दावा टीकमगढ़ जिले में हवा हवाई साबित होता नजर आ रहा है. यही वजह है कि, खरगापुर से दर्जनों परिवार पलायन कर गए. पढ़िए पूरी खबर.
लॉकडाउन के दौरान वापस लौटे मजदूरों के लिए सरकारों ने स्थानीय स्तर पर ही रोजगार देने का एलान किया था. मनरेगा के तहत मजदूरों का काम दिया जाना था, लेकिन सरकार का ये दावा टीकमगढ़ जिले में हवा होता दिख रहा है. यही वजह है कि, मजदूर पलायन करने को मजबूर हैं. ग्रामीणों का कहना है कि, उनके सामने दो वक्त की रोटी का संकट है, इसलिए वे रोजगार की तलाश में बाहर जा रहे हैं.
मध्यप्रदेश में बसें चलाने की अनुमति मिलने के साथ ही मजदूरों ने पलायन शुरू कर दिया है. खरगापुर से दिल्ली जा रहीं बसों में क्षमता से अधिक मजदूरों को बिठाया गया और उनसे ज्यादा पैसे भी वसूले जा रहे हैं. मजदूरों ने बताया कि, पंचायतों में हम लोगों को काम नहीं दिया जाता, जिसकी वजह से जब से लॉकडाउन लगा है तब से काफी समस्याओं का सामना कर रहे हैं.