सीधी।जिले में एक सात साल की बच्ची 6 साल से थैलीसीमिया बीमारी से लड़ रही है. गरीब माता-पिता हर दस दिन में बच्ची को ब्लड लगवाते हैं. बच्ची की मदद के लिए नेताओं और जनप्रतिनिधियों द्वारा मदद की बात कही गई लेकिन आज तक किसी प्रकार की सहायता नहीं कि गई. वहीं डॉक्टर भी बच्ची के माता-पिता से अभद्रता से बात करते है. जहां शनिवार को पीड़ित माता-पिता ने जिला अस्पताल दौरे पर आए रीवा संभाग के कमिश्नर से मदद की गुहार लगाई है. साथ ही डॉक्टर के अभद्र व्यवहार की शिकायत की है.
थैलीसीमिया बीमारी से जूझ रही 7 साल की आराध्या, डॉक्टर कर रहे माता-पिता से अभद्र व्यवहार - Doctor's abusive behavior
सीधी जिले में 7 साल की आराध्या थैलीसीमिया बीमारी से ग्रसित है. जिसे हर 10 दिन में खून चढ़ता है. आराध्या के माता-पिता पहले से ही परेशान है. वहीं डॉक्टर भी अभद्र व्यवहार करते हैं. जिसकी शिकायत पीड़ित माता-पिता ने रीवा संभाग के कमिश्नर से की है.
सीधी के कमर्जी थाना इलाके के रहने वाले पकंज तिवारी पिछले 2014 से अपनी इकलौती बेटी की बीमारी से परेशान हैं. सात साल की आराध्या थैलीसीमिया रोग से ग्रस्त है. जन्म के 6 माह बाद बच्ची बीमार हो गई, इस दौरान डॉक्टरों से पता चला कि आराध्या को थैलीसीमिया रोग है. जिसमे शरीर में खून नहीं बनता. आराध्या को हर दस दिन में खून चढ़ता है. इस दौरान बच्ची से मिलने सांसद-विधायक सभी मिले, सभी ने मदद की बात कही. किसी ने शासकीय इलाज कराने की बात कही तो किसी ने थोड़ी बहुत आर्थिक मदद कर पल्ला झाड़ लिया. लेकिन ठोस मदद आज तक कोई नहीं कर पाया. गरीबी में किसी तरह परिवार चला रहे पंकज के सामने अब इलाज का खर्च बढ़ गया है.
पंकज का कहना है कि नागपुर के अस्पताल में आराध्या को दिखाया गया था. जहां बोर्नमेंट ट्रांसप्लांट के लिए एक करोड़ रुपये का खर्च बताया गया. गरीबी के चलते डॉक्टरों ने कहा कि बच्ची को जिंदा रखने के लिए दस पंद्रह दिन में खून चढ़ाना पड़ता है. जहां डॉक्टर देवेंद्र पटेल द्वारा अभद्रता की जाती है, गाली गलौच कर महिलाओं के साथ गलत व्यवहार किया जाता है. जिससे परेशान परिवार डॉक्टर की बदसलूकी से आहत होते हैं. जिला अस्पताल के दौरे पर आए रीवा संभाग के कमिश्नर से आज शिकायत की है. वहीं कमिश्नर ने डॉक्टर की बदसलूकी की शिकायत पर अधिकारियों से बात करने का आश्वासन दिया है. मामले में रीवा कमिश्नर राजेश जैन ने कहा कि यदि डॉक्टर की अभद्रता थैलीसीमिया रोग से ग्रस्त परिजनों के साथ कि जाति है तो यह गंभीर मामला है, जिसे जिम्मेदारों को ध्यान देना चाहिए.