शिवपुरी। करैरा विधानसभा सीट को लेकर 3 नवंबर को होने वाले उपचुनाव का वक्त जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे राजनीतिक पंडितों की भावी प्रत्याशी को लेकर जिज्ञासा बढ़ती जा रही है, कि आखिर इस सीट पर कौन विजय फताका फहराऐगा. हालांकि नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि के दिन किसी भी उम्मीदवार ने अपना नाम वापस नहीं लिया है. इस तरह 3 नवंबर को होने वाले उप चुनाव में कुल 13 उम्मीदवार की किस्मत ईवीएम में कैद हो जाएगी.
भाजपा प्रत्याशी जसमंत जाटव को लोगों के बीच भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है. क्षेत्र की जनता फिलहाल इस बात से नाराज है कि न तो उनके क्षेत्र से सोन चिरैया अभ्यारण्य हटाने को लेकर कोई कदम उठाया है और न ही सड़क और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं को लेकर कोई काम किया है. क्षेत्र की जनता का आरोप है कि भाजपा प्रत्याशी क्षेत्र के विकास के लिए गंभीर नहीं हैं यहीं वजह है कि करैरा की जनता भाजपा प्रत्याशी से नाराज है. इसके साथ ही राजनीतिक जानकारों के मुताबिक भाजपा प्रत्याशी जब जनता के बीच में पहुंच रहे हैं तो बिकाऊ वाला मुद्दा जोर पकड़ रहा है. जिस वजह से भाजपा प्रत्याशी को लोगों को समझाने बुझाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है.
प्रत्याशियों का सामान जाति कार्ड
भाजपा, कांग्रेस और बसपा जैसे राष्ट्रीय दलों ने एक ही जाति के प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे हैं. कांग्रेस ने जहां प्रागीलाल जाटव को अपना प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा है तो वहीं बसपा ने राजेन्द्र जाटव और भाजपा ने पूर्व विधायक जसमंत जाटव को करैरा विधानसभा से प्रत्याशी बनाया है. हालांकि दो निर्दलीय प्रत्याशी भी जाटव समाज से मैदान में हैं. इस तरह अभी यह कहना मुश्किल होगा कि जातिगत समीकरणों का रूझान किस प्रत्याशी के पक्ष में जाएगा, क्योंकि तीनों ही एक ही जाति से हैं.
2013 में 9, 2018 में 15 और 2020 में 13 प्रत्याशी चुनावी मैदान में