शिवपुरी।श्योपुर के कूनो नेश्नल पार्क में चीते आने के बाद 15 जनवरी तक माधव राष्ट्रीय उद्यान (Tiger reserve Built in Madhav National Park) में पहले चरण में 3 बाघ लाए जाने हैं. इसके बाद माधव राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिजर्व बनाने के लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है. बफर जोन में 13 और गांव शामिल कर इसे बढ़ाकर 1600 वर्ग किमी कर दिया गया है, जिससे इसका फैलाव बीच के कुछ क्षेत्र को छोड़कर कुनो तक हो सकेगा.
माधव राष्ट्रीय उद्यान का होगा विस्तार:कुनो पालपुर अभ्यारण्य राजस्थान के रणथंबोर से जुड़ा है. माधव राष्ट्रीय उद्यान का विस्तार होने से अब यहां का बफर जोन कूनो तक फैलेगा. माधव राष्ट्रीय उद्यान का विस्तार कूनो तक होने से जब रणथंभौर के बाघ यहां आएंगे तो वे नेशनल पार्क की टेरेटिरी में आएंगे. अधिकांशतः नर बाघ ही अपनी टेरेटरी से बाहर निकलते है, लेकिन वे मध्यप्रदेश में अधिक नहीं रुकते क्योंकि यहां पर कोई मादा बाघ नहीं है. माधव राष्ट्रीय उद्यान में मादा बाघ आने के बाद यह अधिक समय यहां रुक सकेंगे.
1996 में विलुप्त हो गए थे टाइगर: रणथंभौर में बाघों की संख्या लगातार बढ़ रही है, इन तीनों राष्ट्रीय उद्यानों के जुड़ने के बाद रणथंभौर से माधव राष्ट्रीय उद्यान तक सफर कर सकेंगे. संभवतः यह पहली बार होगा जब एक प्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान के बाघ सीमाओं से निकलकर दूसरे प्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान में विचरण कर सकेंगे. माधव नेशनल पार्क में टाइगर सफारी में 1990-91 तक यहां 10 से अधिक बाघ थे, उसके बाद अनदेखी के चलते इन्हें यहां से शिफ्ट कर दूसरी जगहों पर भेज दिया गया. टाइगर सफारी में अंतिम बार बाघ 1995 में देखा गया था. यहां अंतिम बाघों की जोड़ी तारा और पेटू की थी. जब 1996 में यहां टाइगर विलुप्त हो गए थे तो फिर टाइगर सफारी भी बंद कर दी गई.