मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

MP Seat Scan Kalapipal: इस सीट पर कांग्रेस की स्थिति मजबूत, वापसी की कोशिश में बीजेपी, जानिए कालापीपल विधानसभा क्षेत्र का समीकरण

मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टियां पूरी तरह सक्रिय नजर आ रही है. इस चुनावी साल में ईटीवी भारत आपको मध्य प्रदेश की एक-एक सीट का विश्लेषण लेकर आ रहा है. आज हम आपको बताएंगे शाजापुर जिले के कालापीपल विधानसभा सीट के बारे में. इस सीट पर वर्तमान में कांग्रेस का विधायक है. वहीं बीजेपी कालापीपल सीट पर जीत हासिल करने की पूरी कोशिश कर रही है.

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 28, 2023, 3:12 PM IST

MP Seat Scan Kalapipal
एमपी सीट स्कैन कालापीपल

शाजापुर। मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में पहली बार चुनाव प्रचार के लिए आ रहे कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी शाजापुर जिले की कालापीपल विधानसभा पहुंचेंगे. 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई इस विधानसभा सीट पर पिछले चुनाव में कांग्रेस ने अपना कब्जा किया था. राहुल गांधी के दौरे के बाद कांग्रेस न सिर्फ इस सीट, बल्कि आसपास की अन्य सीटों पर अपनी पकड़ और मजबूत होगी. हालांकि बीजेपी फिर इस सीट को हथियाने के खूब प्रयास कर रही है. इस सीट पर जातिगत समीकरण हमेशा चुनावी नतीजों को प्रभावित करते हैं.

यह है इस सीट का सियासी इतिहास: कालापीपल पूर्व में शुजालपुर विधानसभा क्षेत्र में आता था, लेकिन 2008 में हुए परिसीमन में 188 गांवों को जोड़कर कालापीपल विधानसभा बनाई गई. इस सीट पर तीन चुनावों में शुरूआत के दो चुनाव बीजेपी जीतने में सफल रही, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के युवा चेहरे कुणाल चौधरी ने इस सीट पर कब्जा करने में सफलता पाई. कुणाल चौधरी ने पिछले चुनाव में बीजेपी के बाबूलाल वर्मा को 13699 वोटों से शिकस्त दी थी. बाबूलाल वर्मा 2008 में इस सीट से विधायक चुने जा चुके हैं. 2008 में उन्होंने कांग्रेस के सरोज मनोरंजन सिंह को 13232 वोटों से हराया था. 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने इस सीट से इंदरसिंह परमार को मैदान में उतारा और उन्होंने कांग्रेस के केदारसिंह मंडलोई को 9 हजार 573 वोटों से धूल चटाई थी. 2018 के चुनाव में इंदरसिंह परमार ने अपनी सीट बदलकर शुजालपुर कर ली थी.

कालापीपल सीट का रिपोर्ट कार्ड

बीजेपी-कांग्रेस दोनों कर रहे जोर आजमाइश:आगामी विधानसभा चुनाव में इस सीट को फिर हथियाने के लिए बीजेपी खूब जोर लगा रही है. बीजेपी ने पिछले दिनों बड़ी धार्मिक कथा कराई है. बीजेपी के बड़े नेता यहां पहुंच रहे हैं. खूब जनता से वादे और विकास के दावे किए जा रहे हैं. उधर 30 सितंबर को कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी यहां पहुंच रहे हैं. जाहिर है चुनाव में टिकट के लिए बीजेपी की तरफ से कई नेता दावेदारी कर रहे हैं. क्षेत्र में खाती समाज का प्रभाव है, इसलिए बीजेपी नेता जीतू जिराती इस सीट से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं. उधर इस से 2008 में विधायक रहे बाबूलाल वर्मा भी टिकट मांग रहे हैं, हालांकि पार्टी 2013 में उनका टिकट काट चुकी है और 2018 में वे चुनाव हार चुके हैं. इसके अलावा विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहे घनश्याम चंद्रवंशी भी दावेदारी कर रहे हैं. उधर कांग्रेस एक बार फिर युवा विधायक कुणाल चौधरी पर भरोसा जता सकती है.

साल 2018 का रिजल्ट

कुछ और सीट स्कैन यहां पढ़ें...

कालापीपल सीट के मतदाता

जातिगत समीकरण निभाता है भूमिका: इस विधानसभा चुनाव में हार-जीत का समीकरण जातिगत गणित के आधार पर तय होता है. इस विधानसभा क्षेत्र में करीबन 35 हजार मतदाता खाती समाज के हैं. इसके अलावा मेवाड़ा और परमार समाज के करीबन 32 हजार मतदाता हैं. यह तीन समुदाय ही चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. 2018 में चुने गए कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी खाती समाज से ही आते हैं. कालापीपल विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 19 हजार 900 है. इसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 14 हजार 610 है, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 5 हजार 289 है, जबकि थर्ड जेंडर का सिर्फ 1 मतदाता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details