शहडोल। आदिवासी जिला शहडोल धान की खेती के लिए जाना जाता है. इसके अलावा जिले में बड़ी मात्रा में अरहर की खेती की जाती है. जिले में अरहर की जिन किस्मों की खेती की जाती है, उससे किसान पूरे साल में सिर्फ एक ही बार पैदावार ले पाते हैं. लेकिन शहडोल कृषि विज्ञान केंद्र दिल्ली से अरहर के नई किस्म लेकर आया है, जिसकी खेती एक साल में दो बार की जा सकेंगी. फिलहाल कृषि विज्ञान केंद्र ने इस बीज को ट्रायल पर रखा है.
कृषि वैज्ञनिक डॉ. पीएन त्रिपाठी ने बताया कि शहडोल जिले में खरीफ के सीजन में लगभग 12 से 14 हज़ार हेक्टेयर एरिया में अरहर की फसल लगाई जाती है, लेकिन यहां अरहर की जिन किस्मों की खेली होता है, वो 180 से 200 दिन की हैं. जिसके चलते अरहर की खेती करने वाले किसान अपने खेतों में दूसरी फसल नहीं लगा पाते हैं.