Rahul Gandhi in Vindhya: आदिवासी और OBC के मुद्दे पर गरजे राहुल गांधी, क्या विंध्य में हो पायेगा कांग्रेस का कमबैक...
Rahul Gandhi MP Visit: विंध्य की धरा पर मंगलवार को राहुल गांधी ने विशाल जनसभा को संबोधित किया. शहडोल जिले के ब्यौहारी में यह जनसभा आयोजित की गई थी. इस दौरान राहुल गांधी ने आदिवासी और ओबीसी वर्ग को साधने की पूरी कोशिश की और पूरे भाषण के दौरान आदिवासी, ओबीसी वर्ग और जातिगत जनगणना की बात की. लेकिन, सवाल यही है कि राहुल के इस जनसभा के बाद क्या कांग्रेस विंध्य में कमबैक कर पायेगी.
शहडोल।कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को शहडोल जिले के ब्यौहारी विधानसभा क्षेत्र में विशाल जनसभा को संबोधित किया. यहां उन्होंने पहले तो मध्य प्रदेश में बीजेपी और आरएसएस पर जमकर निशाना साधा और फिर उसके बाद आदिवासी वर्ग की बात करने लग गए. इस दौरान राहुल आदिवासी के साथ ओबीसी वर्ग को भी साधने की कोशिश में दिखे.
जातिगत जनगणना के मुद्दे को पुरजोर वकालत, विंध्य में कमबैक प्लान:राहुल गांधी ने अपने संबोधन में जातिगत जनगणना करने को लेकर कई दावे किए. विंध्य क्षेत्र में कांग्रेस की पहली बड़ी चुनावी सभा थी जिसमें खुद राहुल गांधी ने सभा को संबोधित किया. कांग्रेस इस बार विंध्य क्षेत्र को साधना चाह रही है क्योंकि कभी विंध्य क्षेत्र में कांग्रेस का दबदबा था, लेकिन अब ये बीजेपी का गढ़ बन गया है. बदलते वक्त के साथ कांग्रेस किस तरह से विंध्य में कमजोर हुई और बीजेपी के लिए विंध्य क्षेत्र कैसे उसका गढ़ बन गया, इस बात का इल्म खुद कांग्रेस पार्टी को भी है और इसीलिए इस बार कांग्रेस पार्टी विंध्य में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए पुरजोर कोशिश कर रही है. शायद यही वजह भी है कि कांग्रेस ने इस बार विंध्य में जब अपने चुनावी अभियान की शुरुआत की है, तो अपने सबसे बड़े नेता राहुल गांधी को मैदान में उतारा
विंध्य हर पार्टी के लिए जरूरी:मध्य प्रदेश में अगर सत्ता की चाबी हासिल करनी है तो विंध्य में बेहतर प्रदर्शन किसी भी पार्टी के लिए क्यों जरूरी है इसे इस तरह से समझा जा सकता है:
विंध्य में पिछले 20 साल में चार चुनाव हुए, इस दौरान 12 से अधिकतम सीट कांग्रेस पार्टी नहीं पाई.
विंध्य में साल 2003 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जहां 18 सीट जीती तो कांग्रेस को 4 सीट मिली.
साल 2008 के चुनाव में तो कांग्रेस की स्थिति विंध्य में और खराब हो गई. यहां कांग्रेस को महज 2 सीट ही मिली. इस चुनाव में कांग्रेस से ज्यादा सीट बसपा ने हासिल कर ली. बसपा को 3 सीटों पर जीत मिली थी.
2013 के विधानसभा चुनाव में विंध्य में कांग्रेस ने थोड़ी वापसी की और 30 विधानसभा सीटों में से 12 सीट जीतने में कामयाब रही, फिर भी बीजेपी ने यहां 16 सीट जीती थी.
2018 के चुनाव में एक बार फिर से विंध्य में 30 सीटों में से कांग्रेस को महज 6 सीट ही मिली, तो वहीं भाजपा ने 24 सीट हासिल की.
विंध्य में कभी इनका राज था :ऐसा नहीं है कि विंध्य क्षेत्र में भाजपा हमेशा से हावी रही है पहले कांग्रेस का यहां काफी दबदबा था साल 2003 से पहले ऐसा दौर भी था जब विंध्य में कांग्रेस का दबदबा रहता था. मध्य प्रदेश का पूर्वी इलाका विंध्य कांग्रेस का किला था. अर्जुन सिंह जैसे कद्दावर नेता के गृह क्षेत्र में अब उनकी विरासत उनके पुत्र अजय सिंह राहुल संभालते हैं. अर्जुन सिंह के समय में यहां कांग्रेस का एक अलग ही दबदबा देखने को मिलता था. सफेद शेर के नाम से विख्यात दिवंगत विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी और अर्जुन सिंह एक दौर में इसी आंचल का प्रतिनिधित्व करते रहे और तब कांग्रेस का यहां बोलबाला था. लेकिन ऐसे नेताओं के जाने के बाद से ही कांग्रेस का जनाधार लगातार क्षेत्र में गिरता गया और अब तक कांग्रेस उससे उबर नहीं पाई है. इसीलिए कांग्रेस ने इस बार के विधानसभा चुनाव में विंध्य में अपना मजबूत कमबैक प्लान तैयार किया है.