शहडोल।अगर घर में पूजा घर बनाने की सोच रहे हैं तो उसमें वास्तु शास्त्र का भी ध्यान रखना जरूरी होता है. घर के किस कोने पर पूजा घर बनाना चाहिए, घर में किन जगहों पर बिल्कुल भी पूजा घर नहीं बनाना चाहिए, किस तरह की मूर्ति स्थापित करें और ऐसा करने से किस तरह का लाभ होगा. पूजा घर के लिए वास्तुशास्त्र को लेकर ज्योतिषाचार्य और वास्तुशास्त्रविद सूर्यकांत शुक्ला इन सभी बिंदुओं को विस्तार से बताया है. (Vastushastra Pooja Ghar) इस आर्टिकल में आपको मंदिर वास्तुशास्त्र से जुड़ी पूरी जानकतारी मिलेगी.
कहां बनाएं पूजा घर:वास्तुशास्त्रविद सूर्यकांत शुक्ला के अनुसार की वास्तु शास्त्र में मुख्य रूप से भूखंड और भूखंड में निर्मित होने वाले मनुष्य के रहने योग्य साधन संसाधन के विषय में विचार किया जाता है. पहले जो ऋषि मुनि हुआ करते थे वो वास्तु विचारण करके ही रुकते थे. वास्तु शास्त्र के अनुसार जलाशय, पूजा घर, भोजनालय, शिक्षा ग्रहण करने का कक्ष, इत्यादि पर विशेष रूप से विचार किया जाता है की इन्हें कहां बनाना चाहिए. घर में अक्सर वास्तु के मुताबिक मध्य स्थान को रिक्त रखा जाता है, वहीं प्रमुख रूप से वास्तु के विचारण में सर्वप्रथम देव मूर्ति की स्थापना स्थल का विचारण किया जाता है.
इसके विचारण के साथ ही गृह निर्माण या वास्तु इसके विचारण के साथ ही गृह निर्माण या वास्तु की स्थिति का विचारण करना चाहिए. वैसे शास्त्रोक्त दृष्टि से किसी भी घर में ईशान कोण पर ही पूजा घर का निर्माण होना चाहिए. पूजा घर बनाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पूजा घर बहुत ऊंचा नहीं होना चाहिए. पूजा घर को वैसे तो मंदिरनुमा बनाना निषेध है और न ही 5 से 6 फिट से बड़ा होना चाहिए. इसके अलावा घर के ईशान कोण पर बने कक्ष में ही पूजा घर का एक स्वरूप निर्मित करना चाहिए. जिसमें ऊंची मूर्ति नहीं रखनी चाहिए. 3 इंच के लगभग ही मूर्ति की लंबाई होनी चाहिए या यूं कहें कि एक अंगूठे के बराबर ही मूर्ति की लंबाई होनी चाहिए.
पूजा घर में ऐसा बिल्कुल न करें:ज्योतिषाचार्य कहते हैं कि विशेषकर जिन देवताओं पर हमारी अटूट श्रद्धा है उन्हीं मूर्तियों को पूजा घर में रखना चाहिए. पूजा घर में अनेक तरह के चित्र कलाकारी स्थापित नहीं करनी चाहिए. पूजा घर में पंच देवता का निश्चित रूप से पूजा होनी चाहिए, ब्रह्मा विष्णु, महेश और मां भगवती और भगवान गणपति. सामान्य स्थापना करके मनुष्य को पूजा घर में पूजा करना चाहिए. जिससे घर में समस्त प्रकार के वास्तु से संबंधित दोषों का निवारण होता है. वहीं ईशान कोण में जिस घर पर पूजा घर है वहां पर बहुत भारी भरकम चीजों की स्थापना नहीं करनी चाहिए. बहुत ही सामान्य सरल कलर की पुताई करनी चाहिए. पूजा घर के पास किसी तरह का कचड़ा जमा न होने दें इसका वास्तु पर विपरीत असर पड़ता है. वहीं ईशान कोण में मंदिर के स्थल पर शयन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए.