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ETV भारत Special शहडोल में पारंपरिक खेती से हटकर स्ट्रॉबेरी की फसल उगाकर किसानों को दिखाई राह

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Published : Dec 23, 2022, 5:09 PM IST

किसान दिवस में आज हम एक ऐसे किसान के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपने खेती के नए- नए प्रयोग से हमेशा सुर्खियों में बने रहते हैं. बदलते वक्त के साथ अब शहडोल जिले के किसान भी बदल रहे हैं. खेती में नए-नए प्रयोग कर रहे हैं. कुछ ऐसा ही किया है शहडोल जिले के किसान राम सजीवन कचेर ने. इस बार उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती करके एक अलग ही नवाचार (Shown way by growing strawberry) किया है. स्ट्रॉबेरी की फसल भी अच्छी होने से वह बेहद उत्साहित भी हैं.

MP Shahdol Farmers shown way by growing strawberr
स्ट्रॉबेरी की फसल उगाकर किसानों को दिखाई राह

स्ट्रॉबेरी की फसल उगाकर किसानों को दिखाई राह

शहडोल।जिले के करकटी गांव के रहने वाले राम सजीवन कचेर हमेशा खेती-किसानी में नए प्रयोग करते रहते हैं. इस बार उन्होंने स्ट्रॉबेरी की सफल खेती की है. इन दिनों उनके खेत में स्ट्रॉबेरी की भी फसल निकल रही है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से किसान भी पहुंच रहे हैं. किसान उनके इस नवाचार की तारीफ कर रहे हैं. राम सजीवन कचेर बताते हैं कि उनके एक परिचित किसान हैं. जिन्होंने उन्हें कुछ साल पहले अंतर्राष्ट्रीय कृषि मेला के लिए पुणे बुलाया था. वहां पर उन्होंने देखा कि वहां पर स्ट्रॉबेरी की खेती हो रही है. उसके बाद रामसजीवन के दिमाग में ये विचार आया कि क्यों न वो भी अपने यहां स्ट्रॉबेरी की खेती करें. राम सजीवन कहते हैं कि जब हमने मेले में स्ट्रॉबेरी खरीद कर खाया तो टेस्ट भी शानदार था, जिसके बाद उन्होंने पूरी तरह से विचार बना लिया कि वो इसकी खेती एक बार जरूर करेंगे.

पुणे से मंगवाए पौधे :रामसजीवन कचेर बताते हैं कि उन्होंने स्ट्रॉबेरी का नवाचार करने के लिए पुणे से अपने परिचित से करीब 300 पौधे मंगवाए और विधिवत उसे अपने खेतों पर लगवाया. सितंबर के महीने में उनके पौधे पुणे से आ गए थे. सितंबर महीने में ही उन्होंने इसे लगवा दिया था और जैसे-जैसे तापमान घटता गया, ठंड बढ़ती गई. स्ट्रॉबेरी की खेती में ग्रोथ बहुत अच्छा आया और इन दिनों फ़्रूटिंग हो रही है. स्ट्रॉबेरी की जो फसल लगा रखी है, इन दिनों उसमें जमकर फ्रूटिंग हो रही है. फलों की साइज अच्छी है, स्वाद में मीठा है और कलर भी बहुत अच्छा आ रहा है.

स्ट्रॉबेरी की फसल उगाकर किसानों को दिखाई राह

इन बातों का रखें ख्याल :स्ट्रॉबेरी की खेती को लेकर राम सजीवन कचेर कहते हैं कि यह दूसरी फसलों की खेती की तरह ही है. बस इसमें कुछ बातों का ख्याल रखना जरूरी है. अगर कोई किसान स्ट्रॉबेरी की खेती करता है तो ड्रिप और मल्चिंग के साथ अगर इसकी खेती की जाए तो बहुत ही अच्छा है क्योंकि नमी में अगर इसके फ्रूट रहेंगे तो खराब हो सकते हैं. इसलिए मल्चिंग और ड्रिप सबसे अच्छा ऑप्शन है. इसकी खेती में बहुत ज्यादा एक्स्ट्रा खर्च की जरूरत नहीं पड़ती और अच्छा खासा मुनाफा कमाया जा सकता है. बस लार्ज स्केल पर इसकी खेती की जाए और अच्छा मार्केट मिल जाए. अपने क्षेत्र में सितंबर से 15 मार्च तक का वक्त इसकी खेती के लिए बहुत ही शानदार है. क्योंकि सितंबर से लगभग 15 मार्च तक तापमान इसके अनुकूल रहता है.

स्ट्रॉबेरी की फसल उगाकर किसानों को दिखाई राह

एक एकड़ में 3 हजार पौधे :किसान का मानना है कि अगर 1 एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती की जाए तो लगभग 3 हज़ार पौधे लगेंगे, जिसमें 12 से 15 हज़ार रुपए तक कमाए जा सकते हैं. राम सजीवन कचेर कहते हैं कि जब लार्ज स्केल पर स्ट्रॉबेरी की खेती की जाएगी तो इसे बेचने की भी समस्या आएगी, लेकिन इसके लिए भी किसान को कमर कसके रखनी पड़ेगी क्योंकि इसके लिए किसान को रायपुर, बिलासपुर या जबलपुर का मार्केट पकड़ना पड़ेगा. वहीं अच्छे दाम मिलेंगे और ज्यादा से ज्यादा फसल को वहां बेचा जा सकता है. कचेर बताते हैं कि इस बार उन्होंने ट्रायल के तौर पर स्ट्रॉबेरी की खेती की थी और उनके पास जैविक खेती करने के लिए पूरे संसाधन उपलब्ध थे. उनके पास गोबर गैस है. इसके अलावा डी कंपोजर और जीवामृत भी वो बनाते हैं और इसी का इस्तेमाल करके इस बार उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती की है. अपनी फसल में किसी भी तरह का केमिकल इस्तेमाल नहीं किया है, और न ही किसी तरह की रासायनिक दवाइयों का इस्तेमाल किया है.

स्ट्रॉबेरी की फसल उगाकर किसानों को दिखाई राह

स्ट्रॉबेरी लगाने का ये है तरीका :इसे शुरुआत से आखिर तक कैसे तैयार किया है. वे बताते हैं कि सबसे पहले बेड तैयार किया और फिर उन पौधों को ट्रांसप्लांट कर दिया. जब पौधे 10 से 15 दिन के हो गए मैटिंग बिछाकर जहां पर पौधे थे वहां पर होल करा दिया. इसके बाद फिर इसमें जीवामृत डाल दिया और डी कंपोजर को ड्रिप से चला दिया. फिर उसमें 1 महीने में फ़्रूटिंग चालू हो गई. लगाने के 1 महीने बाद उसमें फल आने लगे. ठंडी में पर्याप्त फल आ रहा है. किसान राम सजीवन कचेर बताते हैं कि इस बार जो उन्होंने प्रायोगिक तौर पर तीन सौ पौधे से स्ट्रॉबेरी की खेती की है. उनका मानना है कि जैसे- जैसे तापमान घटेगा. दिसंबर जनवरी के महीने में ठंड बढ़ेगी तो उसमें और ग्रोथ होगा और तेज़ फ़्रूटिंग होगी. एक पौधे से आधा किलो से लेकर तीन पाव तक फसल वो निकाल सकते हैं.

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क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक :स्ट्रॉबेरी की खेती को लेकर कृषि वैज्ञानिक मृगेंद्र सिंह कहते हैं कि ये खेती मध्यप्रदेश में तो पहले से ही की जा रही थी लेकिन शहडोल जिले में पूरी तरह से नवाचार है. आज से चार-पांच साल पहले प्रायोगिक तौर पर अपने कृषि विज्ञान केंद्र में भी हमने करवाया था और कई किसानों को भ्रमण भी करवाया था. राम सजीवन के अलावा खूबचंद पटेल और आसपास के 4-5 किसान इस बार नवाचार के तौर पर स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. इसकी खेती के लिए किसानों का रुझान इसलिए है क्योंकि अच्छा डायवर्सिफिकेशन है. अच्छी कीमत मिल जाती है और अपने यहां की जलवायु उसके लिए अनुकूल है.

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