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एक और मासूम चढ़ा दगना की बलि, अब डेढ़ माह के बच्चे की हुई मौत, गर्म चूड़ियों से दागा - शहडोल दगना कुप्रथा

Shahdol Dagna Kupratha: शहडोल के बाद उमरिया जिले में दगना कुप्रथा की घटना सामने आई है. जहां सीवियर निमोनिया से पीड़ित बच्चे को उसके परिजनों ने गर्म चूड़ियों से दागा है. जिसके चलते बच्चे की मौत हो गई.

Shahdol Dagna Kupratha
शहडोल दगना कुप्रथा

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 30, 2023, 7:26 PM IST

शहडोल। शहडोल संभाग में एक बार फिर से दगना कुप्रथा का शिकार एक मासूम हो गया है. जहां बीमारी दूर करने के नाम पर गर्म चूड़ियों से मासूम बच्चे के शरीर को दागा गया. जब बीमारी ठीक नहीं हुई बच्चा और सीरियस हो गया, तो फिर उसे अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन कई दिन जिंदगी और मौत के बीच लड़ाई लड़ने के बाद मासूम ने अपना दम तोड़ दिया. इस तरह से एक बार फिर से एक मासूम दगना कुरीति का शिकार हो गया.

दगना कुप्रथा का शिकार हुआ मासूम: पूरा मामला उमरिया जिले के बकेली का है. जहां डेढ़ माह के एक मासूम बच्चे के साथ दगना जैसी क्रूरता की गई. बताया जा रहा है कि बच्चे की तबीयत बिगड़ी, जिसमें उसकी सांसें चल रही थी, पेट में सूजन आ गया था. इस बीमारी को ठीक करने के नाम पर पेट को दागा गया. जिसके बाद उसकी स्थिति और क्रिटिकल हुई. जब बच्चे की हालत बिगड़ने लगी, तो उसे शहडोल जिला अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया. कुछ दिन तक जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ने के बाद आखिर में डेढ़ माह के मासूम बच्चे की मौत हो गई.

गंभीर हालत में बच्चा अस्पताल में हुआ था एडमिट:बताया जा रहा है कि गर्म चूड़ियों से इस मासूम बच्चे को दागा गया था. इसके पेट पर दागने के कई निशान थे. 21 दिसंबर को जिला चिकित्सालय में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था. तभी से यह जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहा था. 28 दिसंबर को इस मासूम बच्चे की मौत हो गई. शहडोल जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉक्टर जीएस परिहार ने बताया है कि यह 21 दिसंबर को दोपहर 1:00 बजे के आसपास अस्पताल में भर्ती हुआ. यह पाली ब्लॉक जिला उमरिया के रहने वाले थे, लड़के की मां जो अपने मायके में थी. वह भी उमरिया जिले के पाली ब्लॉक में ही उसका गांव आता है. वहां उसका डेढ़ माह का बच्चा था. जब बच्चे की तबीयत बिगड़ी तो चार-पांच माह तक तो वो उसका देसी इलाज करते रहे.

नानी ने मासूम को दागा:मासूम की तबीयत जब ज्यादा बिगड़ी तो उसकी नानी ने उसको दागा था. जिससे वह सीरियस हो गया. फिर उसे जिला अस्पताल शहडोल लेकर आए. 21 तारीख को दोपहर में यहां पर आते ही डॉक्टर जो एसएनसीयू में थे, उन्होंने उसे देखा, बच्चा क्रिटिकल कंडीशन में था, परिजनों को बता दिया गया था, कि बच्चे की हालत खराब है, लेकिन प्रयास कर रहे हैं. बच्चे को तुरंत वेंटिलेटर पर ले जाया गया. तब से बच्चा सीरियस ही था, वेंटिलेटर पर ही था. 28 तारीख को बच्चे की मौत हुई सीवियर निमोनिया उसका कारण है.

शहडोल जिला अस्पताल के डॉक्टर जीएस परिहार कहते हैं कि दगना एक सामाजिक कुरीति है. आदिवासी समाज में इसे लेकर जन जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है. किसी व्यक्ति की मौत दगना से नहीं होती है. जब बच्चा बीमार होता है, तो लोग देसी इलाज में ही समय बर्बाद करते हैं और अस्पताल लेकर नहीं आते हैं. अगर समय से बच्चा अस्पताल पहुंचाया जाए, तो उसकी जान बचाई जा सकती है.

क्या कहते हैं सिविल सर्जन:सिविल सर्जन कहते हैं कि दिक्कत यह है कि जब बच्चा बीमार होता है, तो लोग इलाज कराने नहीं आते हैं, बल्कि उससे पहले देसी इलाज करते हैं. उसके बाद जब बच्चे की स्थिति सीरियस हो जाती है. तब वह गंभीर अवस्था में अस्पताल लेकर आते हैं. तब तक स्थिति बहुत गंभीर हो चुकी होती है. अगर उसे बीमार होते ही सही समय पर अस्पताल लाया जाए तो उसका इलाज करके बचाया जा सकता है.

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गौरतलब है की शहडोल संभाग आदिवासी बाहुल्य संभाग है. यहां पर दगना कुप्रथा काफी ज्यादा हावी है. जिले से तो दगना कुप्रथा के मामले सामने आते ही रहते हैं. अब उमरिया जिले से भी सामने आ रहे हैं. जिस तरह से इन मासूम बच्चों को इस दगना कुप्रथा जैसी कुरीति का शिकार बनाया जा रहा है. वो अब कई बड़े सवाल भी खड़े कर रहे हैं कि आखिर दिक्कत कहां है क्या समय पर आसानी से इन मासूम बच्चों को इलाज नहीं मिल पाता. क्या स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था के यह शिकार हो रहे हैं.

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