शहडोल।प्रदेश में कोरोना वायरस का कहर लगातार बढ़ता ही जा रहा है और इस कोरोना काल में बहुत कुछ बदल गया है. कई गतिविधियां अभी रुकी हुई हैं, खेल जगत के खिलाड़ियों को कोरोना काल में प्रैक्टिस करने और अपने रुटीन को पहले जैसे बनाए रखने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन कहते हैं ना कुछ करने का जजबा हो तो एक सच्चा खिलाड़ी किसी भी परिस्थिति में पीछे नहीं हटता, वो खुद लक्ष्य को पाने के लिए अपने खेल को निखारने कोई न कोई जुगाड़ ढूंढ ही लेता है. कुछ ऐसा ही कर रहे हैं इन दिनों युवा रणजी खिलाड़ी हिमांशु मंत्री. कोरोना संकट के बीच इनके रूटीन अभ्यास को देखकर आप भी कहेंगे कि लक्ष्य को पाने का जुनून हो तो हिमांशु मंत्री जैसा. अभ्यास के लिए मैदान नहीं तो क्या हुआ घर की गैलरी और घर का सामान बन जाता है सहारा.
कोरोना काल में घर में प्रैक्टिस कर रहे रणजी खिलाड़ी रणजी ट्रॉपी का अनुभव किया साझा
रणजी खिलाड़ी हिमांशु मंत्री से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की है, जिसमें उन्होंने अपने लास्ट सीजन रणजी ट्रॉफी के अनुभव को साझा किया है. उन्होंने कहा कि वे लास्ट सीजन ही रणजी ट्रॉफी में डेब्यू किए हैं, जिसमें उन्होंने टोटल तीन मैच खेले हैं. हिमांशु ने कहा कि मेरा अनुभव बहुत ही शानदार रहा, मैं क्रिकेट तो काफी पहले से खेल रहा हूं, लेकिन रणजी ट्रॉफी मेरा पहला सीजन था. काफी कुछ सीखने को मिला और मेरे इतने साल का मेहनत जिसके लिए मैं कर रहा था वो आखिर सफल हुई, लेकिन यहां से मुझे पता चला कि जिस लेवल को मैंने अचीव किया है, रियल क्रिकेट यहां से स्टार्ट है, तो कोशिश करूंगा कि इससे भी ज्यादा मेहनत करूं और भी ज्यादा मोटिवेटेड रहूं.
कोरोना काल में खुद को मोटिवेट रखना थोड़ा मुश्किल
हिमांशु मंत्री कोरोना काल के मुश्किल समय में भी अपने फिटनेस और खेल को बरकरार रखे हुए हैं, जिस पर उन्होंने कहा कि 'हमारा जो गेम है वो ग्रुप एक्टिविटी का है, तो इंडिविसुअली अपने आप को मोटिवेटेड रखना वो भी घर में रहते हुए थोड़ा मुश्किल है. खासकर ये नहीं पता कि अगली सीरीज, अगला मैच, अगला टूर्नामेंट कब है'. साथ ही उन्होंने कहा कि जब ओवर ऑल एनालाइज करने पर पता चलेगा कि कितने ड्यूरेशन से आप खेल रहे हो और लास्ट सीजन आपका अनुभव कैसा था.
को- ऑर्डिनेटर भेजते हैं प्लान्स
ईटीवी भारत के खास बातचीत में उन्होंने अपनी फिटनेस का भी मंत्र बताया है. जिसमें रणजी खिलाड़ी ने कहा कि को- ऑर्डिनेटर उन्हें प्लान भेजते हैं. इस दौरान ऑनलाइन सिस्टम जितना भी है चाहे ऑनलाइन कोचिंग हो चाहे ऑनलाइन आपका परफॉर्मेन्स जजमेंट हो, वो सारी चीजें बढ़ गई हैं. जिसके अनुसार ही प्लान्स आते हैं. उन्होंने कहा कि हम उनको अपने वर्कआउट का वीडियो भेजते हैं. साथ ही कोशिश करते हैं कि घर से ज्यादा बाहर ना निकलें. कोरोना वायरस के कारण जिम जाना भी बंद है. जिससे अभी घर में जैसे खाली सिलेंडर हो गया, ईंटें हो गईं या बैग को भारी करके एक्सरसाइस करते हैं. हिमांशु ने बताया कि अभी अनलॉक 1.0 होने पर सुबह-सुबह जाकर रोड रनिंग कर लेते हैं.
प्रैक्टिस में पेड़ बना सहारा
हिमांशु अपने घर के आंगन मैदान में लगे पेड़ की मदद से भी प्रैक्टिस करते हैं, पेड़ के पीछे प्रैक्टिस करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मैं विकेटकीपर बैट्समेन हूं, जिसके लिए विकेटकीपिंग भी टी20 हो वनडे, या टेस्ट हो. सभी में बेहद महत्वपूर्ण है. इसलिए वे कोशिश कर रहे हैं कि अपनी कीपिंग स्किल्स के साथ साथ अपने रुटीन पर भी ध्यान दें. रणजी खिलाड़ी ने कहा कि पेड़ को वे एक बैट्समैन का वर्चुअल इमेज समझकर पीछे खड़े रहते हैं और अभ्यास करते हैं.
साझा किया फिटनेस मंत्र
कोरोना काल में आए ब्रेक के बाद के प्लान वाले सवाल पर रणजी खिलाड़ी हिमांशु मंत्री ने कहा कि मैं कोशिश कर रहा हूं कि जितना हो सके रूटीन में रह हूं. उन्होंने कहा कि वे नहीं सोचते की कोरोना काल आ गया तो मैं ग्राउंड में जाकर प्रैक्टिस नहीं कर सकता, वे दिनभर का अपना एक एथिक मेंटेन करते हैं. घर पर एक्सरसाइज करते हुए भाई-बहन के साथ ड्रिल्स का रूटीन रखते हैं.
कोरोना काल युवा खिलाड़ियों के लिए मुश्किल
गौरतलब है कि इस कोरोना काल ने ऐसे युवा खिलाड़ियों के लिए भी मुश्किल पैदा कर दी है, क्योंकि एक छोटी सी जगह से निकलकर खिलाड़ी कड़ी मेहनत से कई साल के संघर्ष के बाद रणजी ट्रॉफी तक पहुंच चुके हैं. टीम में जगह फिक्स करने कड़ी मेहनत कर रहे हैं, लेकिन अचानक ही अब ये एक ब्रेक सा लग गया है, ये युवा अपने लक्ष्य को लेकर काफी मोटिवेट हैं, इसीलिए घर में ही नए-नए तरीके इजाद कर अपने फिटनेस और खेल को दुरुस्त करने में लगे हैं.