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आदेश के बाद भी थमे हैं बसों के पहिए, आखिर सरकार क्यों नहीं कर रही बस एसोसिएशन से बात

शासन द्वारा प्रदेश के अंदर बस संचालन के लिए आदेश जारी कर दिए गए हैं, लेकिन करीब एक माह से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी बस ऑपरेटर्स बसों का संचालन नहीं कर रहे हैं.

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Published : Jul 19, 2020, 4:17 PM IST

Buses stop
आदेश के बाद भी थमे हैं बसों के पहिए

शहडोल।कोरोना काल का असर हर वर्ग पर पड़ा है और लम्बे लॉकडाउन के बाद अनलॉक में धीरे-धीरे सबकुछ पटरी पर लाने की कोशिश की जा रही है, वैसे तो प्रदेश के अंदर बसों के संचालन के लिए सरकार ने आदेश जारी कर दिए हैं, लेकिन इतना समय हो जाने के बाद भी जिले में बसों का संचालन नहीं हो रहा है. बस मालिक अपनी मांगों पर डटे हुए हैं तो दूसरी ओर सरकार इस मसले को लेकर अब तक कोई ठोस फैसला भी नहीं कर सकी है. आलम ये है कि बसों के पहिए जिले में पूरी तरह से थमे हुए हैं.

आदेश के बाद भी थमे हैं बसों के पहिए
गरीब और मध्यमवर्गीय तबके के लोगों के लिए बस आवागमन का सबसे प्रमुख साधन है, कहीं भी यात्रा करनी हो बस को काफी सुगम माना जाता है, लेकिन इस कोरोना काल का असर इन पर भी पड़ा है, लॉकडाउन के दौरान जो बस के पहिए थमे वो आम यात्रियों के लिए अभी भी थमे हुए हैं, आलम ये है की अनलॉक की शुरुआत हुए इतने दिन हो गए, लेकिन अब तक बस का संचालन शुरू नहीं हो सका है, ऐसा नहीं है कि बस चलाने के आदेश नहीं हैं, प्रदेश के अंदर बसों के संचालन के सरकार आदेश कर चुकी है, लेकिन शहडोल जिले में अबतक बस का संचालन शुरू नहीं हुआ है.

बस एसोसिएशन की मांगें

बस एसोसिएशन शहडोल के अध्यक्ष भागवत प्रसाद गौतम ने कहा है कि 22 मार्च से सरकार के आदेश के मुताबिक हम लोगों ने अपनी बसें बंद कर दी थीं, कोरोना के चलते बसों का संचालन बंद कर दिया था. उसके बाद 4 महीने बीतने को आए, संचालन के लिए पिछले महीने की 8 तारीख को सरकार ने ये कहा कि आप लोग वाहन आधी सवारी लेकर के संचालित कर सकते हैं. उसमें तो ये समस्या थी कि अगर आधी सवारी, 50 सीट की बस में 25 सवारी हम लोग बिठाकर चलेंगे तो उससे हमारे खर्चों की भरपाई नहीं हो पाएगी. यहां तक डीजल भी बड़ी मुश्किल से खरीद पाएंगे.

बस संचालकों का सरकार से ये आग्रह था कि जो बसें बंद की हैं, तो 4 महीनों का जो रोड टैक्स है वो माफ किया जाए और जो बीमा और टोल टैक्स आदि है उसे और 4 महीने के लिए आगे बढ़ाया जाए, क्योंकि बसें खड़ी थीं और सेंट्रल गवर्नमेंट के आदेश से खड़ी थीं. लेकिन बस संचालकों की इन मांगों पर सरकार ने अबतक कोई भी सुनवाई नहीं की है और आश्वासन के अलावा गवर्नमेंट की ओर से कोई भी लिखित आदेश प्राप्त नहीं हुए हैं.

पहले ही कोरोना के डर से सवारियों का निकलना ही बंद हैं और अगर बस का संचालन शुरू भी हो जाता है तो 14 रुपए प्रति लीटर डीजल के बढ़े हुए दर से किराया बढ़ाने की अनुमति भी बस संचालक मांग रहे हैं. शहडोल बस एसोसिएशन के अध्यक्ष ने साफ कहा कि अगर शासन बसें संचालित कराना चाह रही है तो टैक्स में छूट प्रदान करें और किराया बढ़ाने की अनुमति प्रदान करें.

आरटीओ ने बताई ये वजह-
आरटीओ आशुतोष सिंह भदौरिया ने कहा है कि बस यूनियन ने एक ज्ञापन कार्यालय में सौंपा है, ये ज्ञापन मुख्यमंत्री के नाम से दिया गया है. जिसमें उन्होंने कुछ मांगे रखी हैं, जैसे लॉकडाउन अवधि जो मार्च में शुरू हुई है, मार्च से लेकर के बाकी अवधि तक का टैक्स माफ किया जाए, दूसरी समस्या ये है कि उन्होंने कुछ आर्थिक पैकेज की भी डिमांड की है. इन सभी कारणों के चलते परिवहन उनके द्वारा संचालित नहीं किया जा रहा है. हालांकि शासन ने सामान्य परिवहन प्रदेश के अंदर चालू करने के आदेश जारी कर दिए हैं, लेकिन फिर भी बस संचालक उससे सहमत नहीं हैं और संचालन नहीं कर रहे हैं.

शहडोल आरटीओ आशुतोष भदौरिया ने किराये दर में वृद्धि को लेकर कहा है कि किराए दर में वृद्धि शासन स्तर से ही संभावित है, यहां से संभावित नहीं है और ऐसा यहां से कोई प्रस्ताव प्रचलन में भी नहीं है. रही बात सोशल डिस्टेंसिग की तो ये इशू जरूर होगा जब वाहन संचालित होंगे. हालांकि शासन ने एक सीट पर एक व्यक्ति के लिए परिवहन की अनुमति दी है. जब वाहन संचालित होंगे तो नियमानुसार उनमें जांच की जाएगी.

प्रदेश में शासन ने बसों का संचालन प्रदेश के अंदर ही करने के आदेश जारी किए हैं. लेकिन अबतक बस एसोसिशन और सरकार के बीच बात नहीं बन पाई है. बस एसोसिएशन जहां अपनी मांगों को लेकर अड़ा हुआ है, तो वहीं सरकार की ओर से अबतक इन मांगों को लेकर कोई पहल नहीं कि गई है. अब देखना ये है की जिले में बसों के पहिए इस कोरोना काल में और कितने दिन थमे रहते हैं.

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