सिवनी: रविवार को पेंच टाइगर रिजर्व के जलाशय मे बोट गस्ती द्वारा बकराकस्सा टापू पर गश्ती करने के दौरान स्टॉफ को परिक्षेत्र कर्माझिरी अन्तर्गत बायसन बीट के कक्ष क्र. 588 में एक नर बाघ शावक मृत अवस्था में मिला, जिसकी सूचना परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा उपसंचालक और क्षेत्र संचालक को दी गयी. क्षेत्र संचालक द्वारा तत्काल उपसंचालक और वन्यप्राणी चिकित्सक को मौके पर पहुंचने के निर्देश देकर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) और अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक (वन्यप्राणी) को सूचना दी गयी.
राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण के सहायक महानिरीक्षक हेमंत कामडी को सूचित किया गया. उनके द्वारा एनटीसीए के प्रतिनिधि के रूप मे उप वनमंडलाधिकारी राकेश कुडापे को मनोनीत किया गया. बोट द्वारा घटना स्थल पर पहुंच कर मृत बाघ शावक का अवलोकन किया गया और उसकी पहचान बाघ टी-15 (कालरवाली) बाघिन के 8वें लिटर की 27 दिसम्बर 2018 को पैदा हुआ तीसरा शावक टी-1583 के रूप में हुई. लगभग 17 माह के इस बाघ शावक की मृत्यु लगभग 5 दिन पहले हुई है, ऐसा अंदाजा लगाया जा रहा है.
अभी हाल ही में टी-21 बाघ, जो इन बच्चों का पिता था उसकी मृत्यु 4 अप्रैल 2020 को होने के उपरांत इस क्षेत्र में 1 अन्य वयस्क बाघ की उपस्थिति लगातार कालरवाली बाघिन के क्षेत्र में दिखती रही है, जिसके कारण कालरवाली बाघिन शावकों को कई स्थानों पर स्थानांतरित करती रही है. माना जा रहा है कि इसी के चलते कालरवाली बाघिन अपने तीनो शावकों के साथ इस टापू पर आयी होगी, जिसके प्रमाण टापू पर बाघिन एवं शावकों के काफी अधिक संख्या में दिख रहे पद चिन्हों से स्पष्ट होता है.
30 मई को को बकरा कस्सा टापू के बगल वाले बड़ टापू से कालरवाली बाघिन को अन्य 2 शावकों के साथ तैरकर कर्माझिरी क्षेत्र के कुम्भादेव बीट में आते हुए देखा गया. कालरवाली बाघिन को पूर्व में भी अपने शावकों को बचाने में चोट ग्रस्त होते हुए देखा गया है और अभी हाल ही में उसके अगले बाएं पैर में को घाव देखा गया है जो कि अन्य बाघ से लड़ाई के कारण होना दिखाई देता है.
वन्यप्राणी चिकित्सक के द्वारा शव परीक्षण के दौरान प्रयोगशाला अन्वेषण के लिए सैम्पल्स को एनटीसीए प्रोटोकॉल के अनुसार संरक्षित किया गया है. शव परीक्षण के दौरान बाघ शावक के संपूर्ण अंग सुरक्षित पाये गये. शव परीक्षण के बाद क्षेत्र संचालक, उपसंचालक वन्यप्राणी चिकित्सक एवं राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के प्रतिनिधि राकेश कुडापे के समक्ष मृत बाघ का पूरे अवयवों (सैम्पल को छोड़कर) के साथ दाह संस्कार किया गया.