सीहोर। वन कर्मचारियों का जंगल के क्षेत्र को नष्ट करने का मामला सामने आया है. मामला लाडकुई वन परिक्षेत्र का है, जहां वन कर्मचारी जंगल की भूमि को चारागाह बनाने में लगे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि नाकेदार और डिप्टी रेंजर पैसे लेकर राजस्थान से आए भेड़ों को चरवाने की अनुमति दे देते हैं, जिसके चलते खेतों में लगी उनकी फसलों को नुकसान हो रहा है.
पैसे लेकर जंगल की जमीन पर चरवाए जा रहे हैं भेड़, गलत जानकारी देकर गुमराह करने का आरोप
सीहोर के लाडकुई वन क्षेत्र में वन विभाग के कर्मचारियों पर जंगल की जमीन पर पैसे लेकर भेड़ चराने की अनुमति देने की बात सामने आई है. जिसके चलते किसानों के खेत को नुकसान पहुंच रहा है. इस पर विभाग के एसडीओ ने इसकी सूचना मंडल अधिकारी को देने की बात कही है.
लाडकुई वन क्षेत्र के पिपलानी सर्किल के बीट किशनपुर, डोंगलापानी और खजूरपानी में वन विभाग के कर्मचारी भेड़ों को चरवाए जाने के पैसे ले रहे हैं. इसकी वजह से वन क्षेत्र के पास लगे सोयाबीन की फसलों को नुकसान पहुंच रहा है, इसे लेकर भेड़ मालिकों और किसानों के बीच विवाद होते रहते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि अधिकारियों ने 10 दिन के हिसाब से कुल 30 हजार रुपए भेड़ मालिकों से लिए हैं. वहीं भेड़ों के साथ चरवाहे जंगल में पांच जगहों पर डेरा डाले हुए हैं.
ग्रामीणों ने नाकेदार आशीष वर्मा और सोलंकी, डिप्टी रेंजर सलीम बेग और रेंजर पंकज शर्मा के साथ अन्य बड़े अधिकारियों की इसमें मिलीभगत होने की बात कही है. वहीं इस मामले में ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष मोहनलाल शर्मा ने कहा कि लाखों रुपए लेकर भेड़ चरवाए जाने का मामला सामने आया है. ग्रामीणों ने भी रेंजर, डिप्टी रेंजर और नाकेदार पर आरोप लगाए हैं. इस मामले में एसडीओ ने कहा कि इसकी सूचना वन मंडल के अधिकारी को दे दी गई है. जिसकी रिपोर्ट के बाद ही इस मामले पर कोई कार्रवाई की जाएगी.