सतना। हौसला हो तो कोई भी बंधन आगे बढ़ने से रोक नहीं सकता, और खुद पर भरोसा हो तो शख्स किसी मजबूरी के आगे घुटने नहीं टेक सकता. ऐसी ही हौसलों की उड़ान और आत्मविश्वास की मिसाल हैं शांति मौर्य. सतना जिले के मैहर की शांति ने देशभर में महिलाओं के लिए मिसाल पेश की है. शांति ने बता दिया कि परिस्थितियों से लड़ना चाहिए, हार मानकर खुद पर बेसहारा का दाग नहीं लगने देना चाहिए. मुसीबतों से लड़ किस तरह शांति ने अपने बेटे को पढ़ाया और चूल्हे-चौके से निकल बाहरी दुनिया में संघर्ष किया, वो कहानी ही अद्भुत है.
मैहर की ओइला ग्राम निवासी शांति मौर्य 2016 के पहले तक एक गुमनाम चेहरा थी. जिनका काम सिर्फ घर के अंदर और चूल्हे-चौके तक सिमटा हुआ था. अक्टूबर 2016 में एक दिन अचानक सड़क हादसे में शांति के पति की मौत हो गई, जिसके बाद शांति अंदर से टूटी. लेकिन फिर उन्हें एहसास हुआ कि परिस्थितियों के सामने घुटने टेकने से कुछ नहीं होगा. खुद ही बाहर निकल आगे बढ़ने होगा. जिसके बाद शांति ने हौसला बांध अपने कदम बढ़ाए.
शांति के पति की एक छोटी सी दुकान थी और मछली पालन का काम भी. वे एक छोटे से तालाब में मछली पालन करते थे. अपने पति के देहांत के बाद शांति ने साहस के साथ खुद पूरा जिम्मा उठाया और एक साल के अंदर वह कर दिखाया जिससे लोग ही नहीं प्रशासनिक अधिकारी भी उनकी मिसाल दे रहे हैं.