सतना। रैगांव विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में किसके सिर सेहरा सजेगा, जल्द ही साफ हो जाएगा, लेकिन अधिक दावेदारों के चलते सियासी सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं, भाजपा के दिवंगत विधायक जुगल किशोर बागरी के निधन से यह सीट खाली हुई है, इस सीट पर त्रिकोणीय समीकरण बन रहा है, जातीय समीकरण के अनुसार अनुसूचित जाति के लिए यह सीट आरक्षित है, यहां पर भाजपा-कांग्रेस के अलावा बसपा का भी पलड़ा भारी रहा है.
इस सीट पर रहेगा त्रिकोणीय मुकाबला!
सतना जिले के रैगांव विधानसभा सीट का गठन सन 1977 में हुआ था, रैगांव विधानसभा सीट पर अब तक 10 बार चुनाव हो चुका है, जिसमें 5 बार बीजेपी और 2 बार कांग्रेस का कब्जा रहा है, जबकि एक बार बहुजन समाज पार्टी ने चुनाव जीता था, इसके अलावा 2 बार अन्य दलों का कब्जा रहा, ऐसे में रैगांव सीट पर बीजेपी की जीत का प्रतिशत सबसे अधिक रहा है तो वहीं कांग्रेस का मार्जिन भी कुछ कम नहीं है. यही वजह है कि रैगांव विधानसभा सीट बीजेपी के प्रभाव वाली सीट मानी जाती है.
उपचुनाव के लिए टिकट के दावेदार
दिवंगत विधायक जुगल किशोर बागरी के निधन के बाद उनके परिवार से तीन लोग टिकट की दावेदारी कर रहे हैं, जिनमें उनके बड़े बेटे पुष्पराज बागरी, छोटे बेटे देवराज बागरी और देवराज बागरी की पत्नी एवं जुगल किशोर बागरी की बहू वंदना बागरी भारतीय पार्टी जनता पार्टी से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं, बीजेपी की सहानुभूति उनके परिवार की ओर जाती है, ऐसे में दिवंगत विधायक के दोनों पुत्र अपने आपको अलग-अलग तरीके से पिता का बड़ा सेवक बता रहे हैं और टिकट की दावेदारी कर रहे हैं.
यहां रहता है बारगी परिवार का दबदबा
वहीं अगर कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस से पूर्व विधानसभा प्रत्याशी कल्पना वर्मा और रैगांव विधानसभा सीट से बसपा की पूर्व विधायक रहीं उषा चौधरी जोकि वर्तमान समय में कांग्रेस में शामिल हो चुकी हैं, वह भी टिकट की दावेदारी कर रही हैं क्योंकि रैगांव विधानसभा सीट पर बागरी परिवार का दबदबा ज्यादा रहा है, ऐसे में कांग्रेसी खेमे से प्रभा जीतू बागरी भी टिकट की दावेदारी कर रही हैं.