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रैगांव में किसके सिर सजेगा 'सेहरा'! बीजेपी-कांग्रेस के अलावा यहां बसपा का भी है वर्चस्व

रैगांव विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी-कांग्रेस के अलावा बसपा का भी वर्चस्व है, यहां पर एससी और पिछड़ा वर्ग निर्णायक भूमिका निभाते हैं, जबकि सवर्ण वोटरों पर भी राजनीतिक दलों की नजर रहती है. दोनों ही पार्टियों में कई-कई दावेदार हैं, जबकि बसपा के भी दावेदार ताल ठोक रहे हैं. जब पार्टियां अपने-अपने पत्ते खोलेंगी, तभी साफ हो पाएगा कि कैसा माहौल बनेगा.

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रैगांव के दावेदार

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Published : Oct 5, 2021, 3:04 PM IST

सतना। रैगांव विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में किसके सिर सेहरा सजेगा, जल्द ही साफ हो जाएगा, लेकिन अधिक दावेदारों के चलते सियासी सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं, भाजपा के दिवंगत विधायक जुगल किशोर बागरी के निधन से यह सीट खाली हुई है, इस सीट पर त्रिकोणीय समीकरण बन रहा है, जातीय समीकरण के अनुसार अनुसूचित जाति के लिए यह सीट आरक्षित है, यहां पर भाजपा-कांग्रेस के अलावा बसपा का भी पलड़ा भारी रहा है.

इस सीट पर रहेगा त्रिकोणीय मुकाबला!

सतना जिले के रैगांव विधानसभा सीट का गठन सन 1977 में हुआ था, रैगांव विधानसभा सीट पर अब तक 10 बार चुनाव हो चुका है, जिसमें 5 बार बीजेपी और 2 बार कांग्रेस का कब्जा रहा है, जबकि एक बार बहुजन समाज पार्टी ने चुनाव जीता था, इसके अलावा 2 बार अन्य दलों का कब्जा रहा, ऐसे में रैगांव सीट पर बीजेपी की जीत का प्रतिशत सबसे अधिक रहा है तो वहीं कांग्रेस का मार्जिन भी कुछ कम नहीं है. यही वजह है कि रैगांव विधानसभा सीट बीजेपी के प्रभाव वाली सीट मानी जाती है.

बीजेपी के दावेदार

उपचुनाव के लिए टिकट के दावेदार

दिवंगत विधायक जुगल किशोर बागरी के निधन के बाद उनके परिवार से तीन लोग टिकट की दावेदारी कर रहे हैं, जिनमें उनके बड़े बेटे पुष्पराज बागरी, छोटे बेटे देवराज बागरी और देवराज बागरी की पत्नी एवं जुगल किशोर बागरी की बहू वंदना बागरी भारतीय पार्टी जनता पार्टी से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं, बीजेपी की सहानुभूति उनके परिवार की ओर जाती है, ऐसे में दिवंगत विधायक के दोनों पुत्र अपने आपको अलग-अलग तरीके से पिता का बड़ा सेवक बता रहे हैं और टिकट की दावेदारी कर रहे हैं.

यहां रहता है बारगी परिवार का दबदबा

वहीं अगर कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस से पूर्व विधानसभा प्रत्याशी कल्पना वर्मा और रैगांव विधानसभा सीट से बसपा की पूर्व विधायक रहीं उषा चौधरी जोकि वर्तमान समय में कांग्रेस में शामिल हो चुकी हैं, वह भी टिकट की दावेदारी कर रही हैं क्योंकि रैगांव विधानसभा सीट पर बागरी परिवार का दबदबा ज्यादा रहा है, ऐसे में कांग्रेसी खेमे से प्रभा जीतू बागरी भी टिकट की दावेदारी कर रही हैं.

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रैगांव विधानसभा का जातीय समीकरण

सतना जिले की रैगांव विधानसभा सीट की अगर बात करें तो आदिवासी और दलित मतदाता यहां सबसे अधिक हैं, जाति की बात करें तो यहां पर सबसे अधिक कुशवाहा, सेन, विश्वकर्मा, बागरी और ब्राह्मण समाज के मतदाता प्रमुख भूमिका निभाते हैं, अनुसूचित जाति एवं ओबीसी वर्ग के प्रभाव वाली इस सीट पर सियासी दलों की नजर सवर्ण वोटरों पर भी रहती है, यही वजह है कि बीजेपी-कांग्रेस हो या बसपा, तीनों ही दल संगठनात्मक रुप से इन वर्गों के बीच सक्रिय हो चुके हैं, अभी यह तय नहीं है कि बसपा उपचुनाव में अपना प्रत्याशी उतारेगी या नहीं.

रैगांव विधानसभा उपचुनाव के अहम मुद्दे

रैगांव उपचुनाव में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और बरगी नहर का पानी रैगांव विधानसभा क्षेत्र के मुख्य मुद्दे हैं, रैगांव विधानसभा क्षेत्र में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है, बेहतर इलाज के लिए लोगों को सतना या दूसरे शहरों का रुख करना पड़ता है, शिक्षा का भी यही हाल है, इसके अलावा सड़क और पानी के मुद्दों को लेकर यहां के वोटरों में नाराजगी साफ देखी जा सकती है.

यहां होना है उपचुनाव के लिए मतदान

छतरपुर जिले की पृथ्वीपुर, सतना जिले की रैगांव और अलीराजपुर की जोबट विधानसभा सीट के अलावा खंडवा लोकसभा सीट भी रिक्त है, जिस पर उपचुनाव के लिए अधिसूचना जारी हो चुकी है. एमपी विधानसभा उपचुनाव के लिए 8 अक्टूबर से 13 अक्टूबर तक नामांकन, स्क्रूटनिंग और नाम वापसी ले सकेंगे उम्मीदवार, जबकि 30 अक्टूबर को मतदान होगा और 2 नवंबर को मतगणना होगी.

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