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जल संरक्षण में अव्वल रहली विकासखंड की पिपरिया गोपाल पंचायत, दिल्ली में मिलेगा नेशनल वॉटर अवार्ड

बुंदेलखंड अंचल को प्राय सूखे और सूखे जैसी स्थिति का सामना लगभग हर साल करना पड़ता है और यही हालत अंचल के सागर जिले में भी रहती है. लेकिन कुछ सालों से इस सिलसिले में जल संरक्षण के काम को प्राथमिकता से किया जा रहा हैं. वॉटर शेड योजना से निर्मित खेत तालाब संरचना से स्प्रिंकलर पद्धति से फसलों की सिंचित करने पर इसका चयन किया गया है.

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Published : Nov 3, 2020, 4:20 AM IST

Sprinkler method
स्प्रिंकलर पद्धति

सागर।आपने पानी के वाहन पर एक बार यह लाइन तो जरुर पढ़ी होगी कि जल है तो जीवन हैं. इस पंक्ति को सच्चाई में बदलने का काम सागर जिले के रेहली विकासखंड की पिपरिया गोपाल ग्राम पंचायत में देखा जा सकता है. बुंदेलखंड अंचल को सूखे और सूखे जैसी स्थिति का सामना लगभग हर साल करना पड़ता है और यही हालत अंचल के सागर जिले में भी रहती है. लेकिन कुछ सालों से इस सिलसिले में जल संरक्षण के काम को प्राथमिकता से किया जा रहा हैं.

जल संरक्षण से बदली पिपरिया गोपाल ग्राम पंचायत की तस्वीर

इस साल भी कोरोना वायरस संक्रमण काल में गरीब कल्याण योजना से जल संरक्षण के सराहनीय काम किए गए है. शासन के सहयोग से जल संरक्षण के कामों को बढ़ावा देने के सुखद परिणाम भी अब सामने आने लगे हैं, जिसके परिणाम स्वरूप सागर को एक नहीं बल्कि दो-दो पुरस्कारों से नवाजा जा रहा है.

स्प्रिंकलर पद्धति से बदली तस्वीर

सागर जिले की रहली विकासखंड की पिपरिया गोपाल ग्राम पंचायत के किए गए जल संरक्षण के कामों का प्रस्ताव भारत शासन को प्रेषित किया गया था. जिसके बाद भारत सरकार की ओर से एक टीम नियुक्त कर कामों के सत्यापन और गुणवत्ता और उसके परिणामों का मूल्यांकन कराया गया. टीम के द्वारा ग्राम पंचायत पिपलिया गोपाल में मुख्य रूप से जल संरक्षण के काम से खेत, तालाब, चेक डैम आदि का सत्यापन किया गया. वॉटर शेड योजना से निर्मित खेत तालाब संरचना से स्प्रिंकलर पद्धति से फसलों की सिंचित करने पर इसका चयन किया गया है.

खेत तालाब

बमुश्किल से हो पाती थी खेती

पिपरिया गोपाल पंचायत को जल संरक्षण के लिए पुरस्कृत किया जा रहा है. वहां कुछ सालों पहले इतनी खराब स्थिति थी कि किसान एक सीज़न की फसल ही बमुश्किल ले पाते थे. सिंचाई के अलावा यहां पीने के पानी की भी बहुत बड़ी समस्या थी. लेकिन जल संरक्षण की दिशा में किए गए इस सराहनीय कार्यों की बदौलत आज यहां की भूमि ना सिर्फ संचित है बल्कि पैदावार भी कई गुना बढ़ गई है. इतना ही नहीं जल संरक्षण के प्रयासों से यहां का भूमिगत जल स्तर भी बढ़ा है. जिससे पेयजल की समस्या भी धीरे-धीरे समाप्त हो रही है.

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