सागर। वैसे तो नगर निगम एक ऐसा सरकारी दफ्तर होता हैं, जहां हर व्यक्ति को जन्म से लेकर मृत्यु तक की औपचारिकताओं के लिए जाना होता हैं, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में ऐसी स्थितियां उपजी हैं कि नगर निगम को व्यकित की मृत्यु के बाद की औपचारिकताएं भी पूरी करनी पड़ रही हैं. हम बात कर रहे हैं सागर नगर निगम की.
दरअसल, कोरोना के कहर के चलते रोजाना मौतों का सिलसिला जारी हैं. काकागंज वार्ड स्थित श्मशान घाट में कोरोना संक्रमित मृतकों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था की गई थी. यह काम नगर निगम के कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा था, लेकिन श्मशान घाट में ऐसी स्थिति बनी कि करीब 20 लोग अपने परिजनों के अंतिम संस्कार के बाद उनकी अस्थि विसर्जन के संस्कार की परंपरा पूरी करने ही नहीं आए. करीब एक महीने तक नगर निगम ने उनकी अस्थियां सहेज कर रखी, लेकिन जब मृतकों के परिजन अस्थियों को लेने नहीं आए, तो नगर निगम ने फैसला किया कि हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार अस्थियों का विसर्जन किया जाएगा. नगर निगम के अमले ने विधिवत पूजा-अर्चना के साथ अस्थियों का विसर्जन मां नर्मदा के बरमान घाट पर किया.
अंतिम संस्कार के बाद अंतिम संस्कार करने नहीं आए परिजन
काकागंज वार्ड स्थित श्मशान घाट में कोरोना संक्रमित और संदिग्ध मृतकों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था की गई हैं. कोविड गाइडलाइन के तहत अंतिम संस्कार के लिए बाकायदा नगर निगम का अमला भी तैनात था. जब कोरोना की दूसरी लहर अपने चरम पर थी, तो श्मशान घाट में रोजाना 10 से 15 तक कोरोना संक्रमित और संदिग्ध मृतकों के अंतिम संस्कार होते थे. अंतिम संस्कार के लिए परिजन पहुंचते थे. इसके बाद अस्थि विसर्जन जैसा महत्वपूर्ण संस्कार भी होता था. नगर निगम ने अंतिम संस्कार के बाद तीन दिन तक स्थान को सुरक्षित रखने का फैसला किया था.
नगर निगम का मानना था कि अस्थि विसर्जन के लिए लोग आएंगे, तो उन्हें परेशानी नहीं होना चाहिए. ज्यादातर लोगों ने अंतिम संस्कार के बाद की अस्थि विसर्जन की परंपरा को भी पूरा किया, लेकिन कई लोग अंतिम संस्कार के बाद दोबारा श्मशान घाट नहीं पहुंचे.
स्थान सुरक्षित रखने के कारण पड़ने लगी थी जगह की कमी