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MP Sagar HRA Scam: सिंचाई विभाग में मिलीभगत से 58 लाख की हेराफेरी,जांच शुरू

सागर जिले में सिंचाई विभाग में एचआरए के नाम पर 58 लाख रुपये से अधिक का घोटाला सामने आया है. इसकी जांच सरकार के वित्त विभाग ने शुरू कर दी है. दरअसल, इस हेराफेरी को वित्त संचालनालय ने पकड़ा था.गड़बडी सामने आते ही जांच शुरू कर दी गयी है.

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Published : May 17, 2023, 2:28 PM IST

MP Sagar HRA Scam
सिंचाई विभाग में मिलीभगत से 58 लाख की हेराफेरी जांच शुरू

सागर। एचआरए घोटाला सिंचाई विभाग के कार्यालय-2 में अंजाम दिया गया. इस घोटाले को आउटसोर्स के एक कम्प्यूटर आपरेटर ने अंजाम दिया. संभावना है कि ये हेराफेरी बडे़ पैमाने पर की गयी है. घोटाले की इस राशि में इजाफा हो सकता है. वित्त विभाग संयुक्त संचालक कोष एवं वित्त के जरिए घोटाले की जांच की जा रही है. इसमें विभाग के कई लोगों के मिले होने की संभावना जताई जा रही है.

संयुक्त संचालक की देखरेख में जांच :वित्त संचालनालय भोपाल ने सागर के सिंचाई विभाग के कार्यालय क्रमांक दो में एचआरए की गड़बड़ी के मामले को पकड़ा तो हड़कंप मच गया. सागर संभाग के वित्त एवं कोष विभाग के संयुक्त संचालक की देखरेख में जांच चल रही है. पिछले 3 दिन से जांच जारी है. पता चला है कि एचआरए के नाम पर कार्यालय के एक चपरासी के खाते में 28 लाख रुपए डाल दिए गए. प्रशासनिक सूत्रों की मानें तो गड़बड़ी को अंजाम देने वाला मुख्य आरोपी आउटसोर्स के आधार पर रखा गया कम्प्यूटर ऑपरेटर यशवंतसिंह राजपूत है.

ऐसे हुआ घोटाला :सूत्रों के अनुसार कम्प्यूटर आपरेटर 2018 से एचआरए के नाम पर हेराफेरी कर रहा था. ये आपरेटर कार्यालय के प्रमुख ईई से उस प्रिंटआउट पर अप्रूवल लेता था, जिसमें किसी भी कर्मचारी के एचआरए की रकम नियमानुसार होती थी. इसके बाद कम्प्यूटर पर रकम में हेराफेरी करके हजार के लाख रुपए कर लेता था. जिस भी कर्मचारी के खाते में ज्यादा एचआरए डालता था तो उसे पहले ही अतिरिक्त रकम का लालच देकर अपने साथ कर लेता था और जैसे ही संबंधित कर्मचारी के खाते में रकम पहुंचती थी,तो उस कर्मचारी को हेराफेरी की कुछ राशि देकर बाकी राशि बैंक से निकलवाकर ले लेता था. उसने कार्यालय के चपरासी गौरव सोनी के खाते में एचआरए के नाम पर 28 लाख रुपए डाले थे.

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पूर्व कर्मचारियों की भूमिका जांच के दायरे में:प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार इस हेराफेरी को क्लर्क स्तर पर अंजाम दिया जा रहा था. कार्यालय में ये कामकाज चार महीने पहले वीआरएस ले चुके लिपिक देखते थे, जिसने दिसम्बर 2022 में वीआरएस ले लिया था. फिर ये काम तृतीय श्रेणी के लिपिक धर्मदास अहिरवार को मिला. गड़बड़ी की जड़ तक पहुंचने के लिए इनकी भूमिका भी संदेह के घेरे में है. इस मामले में ईई एनके जैन का कहना है कि फिलहाल जांच जारी है. जांच में सामने आए तथ्यों के आधार पर 6 कर्मचारियों को वसूली के नोटिस दिए गए हैं. हेराफेरी में ज्यादातर कर्मचारी तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के हैं.

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