सागर। बुंदेलखंड में आबचंद की गुफाओं में आदि मानव का इतिहास मिलेगा, तो ऐरण में 5 हजार साल पुरानी सभ्यता के अवशेष मिलेंगे. खजुराहो और कई मंदिर ऐसे हैं, जो समृद्धशाली संस्कृति और वैभव से परिचय कराते हैं. वहीं बुंदेलखंड में अंग्रेजों की आमद का इतिहास भी गौर करने लायक है. अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ बुंदेलखंड से उठ रही आवाज को दबाने सागर में अंग्रेजी फौज की छावनी बनायी गयी. इसी के साथ ईसाई धर्म का आगमन हुआ और अंग्रेजी अफसरों व फौजियों की प्रार्थना के लिए सेंट पीटर चर्च बनायी गयी. 180 साल पुरानी इस चर्च को देखकर हर कोई रूक जाता है. चर्च की खूबसूरती देखते ही बनती है और खास बात ये है कि बुंदेलखंड में इस चर्च को पहली चर्च होने का गौरव हासिल है.
बुंदेलखंड में अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ बगावत से जुड़ा चर्च का इतिहास:वैसे तो भारत की आजादी के इतिहास में 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम को आजादी की पहली लड़ाई कहा जाता है, लेकिन बुंदेलखंड एक ऐसा इलाका है, जहां अंग्रेजों को जमने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. 1857 की लड़ाई के पहले ही बुंदेलखंड में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जमकर बगावत पनपने लगी थी. बुंदेलखंड के कई राजाओं ने अंग्रेजी हुकुमत के मनमाने फरमानों और नीतियों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल बजा दिया था और 1842 में बुंदेला विद्रोह के रूप में इसकी परिणिती देखने को मिली थी.
अंग्रेजों ने 18वीं शताब्दी की शुरूआत में बुंदेलखंड में पैर जमाना शुरू कर दिए थे. बुंदेलखंड में सागर और नौगांव ऐसी जगह थी. जहां अंग्रेजों ने सेना की छावनी बनाकर भारी संख्या में फौज की तैनाती की थी. फौज की तैनाती के चलते अंग्रेज अफसर और सैनिकों के लिए 1835 में चर्च बनाना शुरू किया गया, जिसे हम सेंट पीटर चर्च के नाम से जानते हैं. सेंट पीटर चर्च में 1841 में पहली बार प्रार्थना की गयी.