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पूरा हुआ अटल जी का सपना, बुंदेलखंड की धरती उगलेगी 'सोना'!

बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए आज एक महत्वपूर्ण दिन साबित होने जा रहा है. केन-बेतवा लिंक परियोजना के तहत सालों से पानी की किल्लत से जूझ रहे क्षेत्र को काफी राहत मिलेगी क्योंकि आज इस विवाद की फाइल बंद आपसी समझौते के तहत बंद कर दी गई है.

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Published : Mar 22, 2021, 11:26 AM IST

Updated : Mar 22, 2021, 1:20 PM IST

Bundelkhand region will get water under Ken Betwa Link Project
बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए आज का दिन महत्वपूर्ण

भोपाल। पानी के संकट से जूझ रहे बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए आज का दिन महत्वपूर्ण साबित होने वाला है. साल 2008 से चल रही केन-बेतवा लिंक परियोजना का आज एमओयू साइन होने जा रहा है. पर्यावरण मंजूरी मिलने के बाद 2017 से पानी बंटवारे को लेकर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच विवाद चल रहा था. इस परियोजना के तहत सालों से पानी की किल्लत से जूझ रहे बुंदेलखंड क्षेत्र को काफी राहत मिलेगी. परियोजना में मध्य प्रदेश के पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी और रायसेन जिले हैं. वहीं उत्तर प्रदेश के बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर जिले शामिल है.

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परियोजना को लेकर अब तक ये हुआ

  • केन बेतवा लिंक परियोजना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का सपना था, जिसमें नदियों में आने वाले अतिरिक्त पानी को सूखे क्षेत्रों में पहुंचाया जाना था.
  • परियोजना का खाका 2008 में तैयार किया गया था, लेकिन बाद में पर्यावरण मंजूरी और दूसरी मंजूरियों की वजह से परियोजना का काम आगे नहीं बढ़ सका. इसमें मुख्य आपत्ति पन्ना टाइगर रिजर्व के 5500 हेक्टेयर से ज्यादा हिस्से का योजना क्षेत्र में शामिल होना था.
  • वर्ष 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को परियोजना पर अमल करने के निर्देश दिए.
  • 2016 में नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्ड टाइगर की सशर्त मंजूरी और दूसरी पर्यावरण मंजूरी मिलने के बाद मोदी सरकार ने केन-बेतवा लिंक परियोजना का काम शुरू किया.
  • वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच पानी बंटवारे को लेकर विवाद के चलते परियोजना अटक गई. उत्तर प्रदेश को रबी सीजन के लिए 700 मिलीयन क्यूबिक मीटर पानी दिया जाना था, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार 930 मिलीयन क्यूबिक मीटर पानी मांग रहा था. मध्य प्रदेश सरकार 700 मिलीयन क्यूबिक मीटर पानी देने पर सहमत था. विवाद को सुलझाने के लिए केंद्रीय प्राधिकरण का गठन किया गया.
  • केंद्र सरकार की मध्यस्था के बीच उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सरकार के बीच कई दौर की वार्ता के बाद पानी विवाद को सुलझा लिया गया.
  • एमपी के छतरपुर व पन्ना जिलों की सीमा पर केन नदी के मौजूदा गंगऊ बैराज के अपस्ट्रीम में 2.5 किमी की दूरी पर डोढ़न गांव के पास एक 73.2 मीटर ऊंचा ग्रेटर गंगऊ बांध बनाया जाएगा और कंक्रीट की 212 किमी लंबी नहर के जरिये केन नदी का पानी उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में बेतवा नदी पर स्थित बरुआ सागर डैम में डाला जाएगा.
  • इस परियोजना से सिंचाई समेत पेयजल और जलविद्युत का लाभ मिलेगा, प्रति वर्ष 10.62 लाख हेक्टेयर कृषि क्षेत्र में सिंचाई सुविधाएं मिलेंगी और लगभग 62 लाख लोगों के लिए पेयजल की आपूर्ति होगी. इसके अलावा 103 मेगावाट जलविद्युत का उत्पादन होगा.
Last Updated : Mar 22, 2021, 1:20 PM IST

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