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मिसाल: शराब कारोबार छोड़ किसान बनी महिला, काले गेहूं की जैविक खेती से चमकाई किस्मत - महिला करती जैविक खेती

सागर शहर के नामी शराब व्यवसायी परिवार से ताल्लुक रखने वाली अंजना घोषी इन दिनों ना सिर्फ किसानों के लिए प्रेरणा की वजह बन रही है, बल्कि महिला किसानों के लिए भी मिसाल पेश कर रही हैं. सागर के मशहूर शराब व्यवसायी स्वर्गीय हेमराज घोषी की बहू अंजना घोषी इन दिनों खेतों में मेहनत करती हुई नजर आ रही हैं. पिछले रबी के सीजन में उन्होंने एक एकड़ खेत में जैविक तरीके से काला गेहूं उगाने का सफल प्रयोग किया है.

Anjana Ghoshi became an Example
मिसाल बनीं अंजना घोषी

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Published : Jun 19, 2021, 11:44 AM IST

Updated : Jun 19, 2021, 2:00 PM IST

सागर।ऐसा बहुत कम ही देखने को मिलता है कि किसी व्यवसाय से जुड़े लोग किसी दूसरे क्षेत्रों में मिसाल बनने का काम करते हैं. बात अगर शराब जैसे मुनाफे वाले कारोबार की हो तो आश्चर्य ज्यादा होता है. लेकिन सागर शहर के नामी शराब व्यवसायी परिवार से ताल्लुक रखने वाली अंजना घोषी इन दिनों ना सिर्फ किसानों के लिए प्रेरणा की वजह बन रही है, बल्कि महिला किसानों के लिए भी मिसाल पेश कर रही हैं. सागर के मशहूर शराब व्यवसायी स्वर्गीय हेमराज घोषी की बहू अंजना घोषी इन दिनों खेतों में मेहनत करती हुई नजर आ रही हैं. पिछले रबी के सीजन में उन्होंने एक एकड़ खेत में जैविक तरीके से काला गेहूं उगाने का सफल प्रयोग किया.

शराब व्यवसायी से किसान बनने का सफर

क्या है जैविक-खेती ?

दरअसल जैविक-खेती उसे कहते हैं जिसमें रासायनिक खादों का इस्तेमाल नहीं किया जाता. रासायनिक खादों और कीटनाशकों के इस्तेमाल की जगह देसी खाद और खेती को बचाने के देसी नुस्खे अपनाए जाते हैं. इस तरह से तैयार अनाज शरीर को किसी भी तरह से हानि नहीं पहुंचाते. लंबे समय तक इनका प्रयोग शरीर की कोशिकाओं को मजबूत बनाता है. साथ ही ये जैविक खाद्य पदार्थ शरीर से हानिकारक तत्वों को बाहर निकालकर शरीर की प्राकृतिक तौर पर मरम्मत करते हैं.

पहला प्रयोग सफल तो अब बड़े पैमाने पर काला गेहूं उगाने की तैयारी

अंजना का पहला प्रयोग ये था कि उन्होंने एक एकड़ जमीन पर जैविक तरीके से 15 क्विंटल काले गेहूं का सफल उत्पादन किया. पहले प्रयास से अंजना काफी उत्साहित हैं. उन्होंने अगले सीजन के लिए अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं. आगामी रबी के सीजन में वह 15 एकड़ जमीन पर जैविक तरीके से काले गेहूं की खेती करने जा रही हैं. उन्होंने इसके लिए बाकायदा कृषि विशेषज्ञों से सलाह भी ली है और कृषि तकनीकों का भी सहारा ले रही हैं. बकौल अंजना सेहत के लिए बेहतर काला गेहूं डायबिटीज के मरीजों के लिए औषधि का काम करता है.

अंजना को नहीं सुख-सुविधाओं की कमी

वैसे तो अंजना घोषी के पास घर में सब सुख-सुविधाएं हैं। स्थानीय सौंदर्य प्रतियोगिताओं में भी वह विजेता रह चुकी हैं। लेकिन भरी दुपहरी में खेत में मेहनत कर किसानों और महिलाओं के लिए प्रेरणा बन रही हैं। हालांकि काले गेहूं की खेती को लेकर सरकार द्वारा कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। लेकिन सेहत के लिए बेहतर माने जाने वाले इस गेहूं का उत्पादन कर महिला किसान अंजना तमाम महिलाओं और किसानों के लिए प्रेरणा बन रही हैं।

बहुमुखी प्रतिभा की धनी अंजना को भा गई किसानी

शराब व्यवसाय वाले परिवार से आने वाली अंजना घोषी शहरी परिवेश में पली-बढ़ी हैं और उच्च शिक्षित हैं. समाज सेवा में सक्रिय रहने के अलावा अंजना सौंदर्य प्रतियोगिता में 'मिसेज सागर' का भी खिताब जीत चुकी हैं. अपने स्वर्गीय ससुर के करीब रहीं अंजना बताती हैं कि "मेरे ससुर जब भी घर में होते थे, तो अक्सर मेरे से खेती-किसानी की बातों को लेकर बातचीत करते रहते थे. वह खेती के बारे में कई नई-नई जानकारी देते थे और खेती की तरफ ध्यान देने के लिए प्रेरित भी करते थे". उनके निधन के बाद उनकी कहीं बातें और जानकारियों के चलते अंजना घोषी ने खुद खेती करने का मन बनाया और इंटरनेट और अन्य माध्यमों से खेती के बारे में जानकारी जुटाने के बाद उन्होंने पिछले रबी के सीजन में एक एकड़ जमीन पर काले गेहूं का जैविक तरीके से उत्पादन करने का फैसला किया.

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सेहत के लिए है फायदेमंद, किसानों को मिल रहे हैं अच्छे दाम
कृषि विशेषज्ञ और कृषि विभाग के उपसंचालक बी एल मालवीय का कहना है कि "हमारे इलाके में किसान काला गेहूं उगाने लगे हैं. हालांकि सरकार की तरफ से कोई सिफारिश नहीं आई है,लेकिन जैसा कि हम जानते हैं कि जो भी रंगीन फल या फसल होती है, चाहे वह चुकंदर हो या गाजर हो, स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होती है और इसमें काफी पोषक तत्व पाए जाते हैं. इसी तरह काले गेहूं का भी रंग काला है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहतर है. इसकी रोटियां और दलिया काफी फायदेमंद होता है. हालांकि इनका रंग काला होता है. काले गेहूं की खेती की सिफारिश भले सरकार नहीं कर रही है, लेकिन किसान लोग बड़े पैमाने पर इसकी बुवाई कर रहे हैं और 4 से 5 हजार क्विंटल तक अपनी फसल का मूल्य पा रहे हैं".

Last Updated : Jun 19, 2021, 2:00 PM IST

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