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48 सालों से एक मिनट भी नहीं सोया है यह शख्स, फिर भी है पूरी तरह स्वस्थ्य, जानिए क्या कहते हैं डॉक्टर? - etv bharat

रीवा में 71 साल का एक शख्स ऐसा है, जिसका दावा है कि वो 48 साल से एक मिनट के लिए भी नहीं सोया है. इनका नाम है रिटायर्ट ज्वॉइंट कलेक्टर मोहनलाल द्विवेदी.

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Published : Aug 30, 2021, 11:01 PM IST

रीवा। जिले से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है जहां एक शख्स पिछले 48 सालों से जाग रहा है. हम बात करने जा रहे है रीवा के मोहनलाल द्विवेदी की जो पिछले 48 सालों से नही सोए हैं. ऐसा भी नही की उन्हें किसी भी तरह की कोई गंभीर बीमारी हो जिससे वह दिन रात लगातार पिछले 48 सालों से जाग रहे हो. मोहनलाल दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े महानगरों के अस्पतालों में डॉक्टरों से अपनी इस अनोखी बीमारी का इलाज भी करवाया है, लेकिन किसी भी डॉक्टर को यह पता नहीं लग पाया कि उन्हें बीमारी क्या है.

48 साल से नहीं सोए हैं मोहनलाल

रीवा शहर के चाणक्यपुरी कालोनी के रहने वाले रिटायर्ड ज्वाइंट कलेक्टर 71 वर्षीय मोहनलाल द्विवेदी ने साइंस को पूरी तरह से मात दे दी है. मेडिकल साइंस का कहता है की हर इंसान को स्वस्थ रहने के लिए दिनके 24 घंटे के दरमियान 6 से 8 घंटे नींद लेना बहुत ही आवश्यक है. जबकि मोहनलाल द्विवेदी ने 48 सालो में एक पल के
लिए भी नही सोए हैं. यह बात सुनकर हर कोई हैरान और चकित है कि भला ऐसे कैसे संभव हो सकता है.

पूरी तरह से स्वस्थ्य हैं मोहनलाल

मोहनलाल ने दावा किया है कि वह पिछले 48 सालों से बिल्कुल भी नही सोए हैं, इसके बावजूद भी उन्हें किसी भी तरह की कोई परेशानी नही हुई और वह पूरी तरह से स्वस्थ जीवन जी रहे है. उनकी भी दिनचर्या आम इंसानों के तरह सामान्य है. वहीं देखा जाए तो मोहनलाल द्विवेदी की पत्नी नर्मदा द्विवेदी और बेटी प्रतिभा भी दिन के 24 घंटे में मात्र 2 से 3 घंटे ही नींद लेती है.

चिकित्सकों भी नही पता आखिर क्या है इसका कारण

मोहनलाल बताते हैं कि शुरुआती दिनों में उन्होंने यह समस्या किसी को नहीं बताई कि वह पूरी रात जागकर बिताते हैं. उन्हें ने तो आंखों में जलन होती और ना ही अन्य दैनिक क्रियाओं पर कोई फर्क पड़ता है. कुछ दिनों बाद उन्होंने अपनी इस समस्या से घर के लोगों को अवगत कराया, तो घर वालों ने पहले झाड़-फूंक कराया. इसके बावजूद भी जब उन्हें कोई आराम नहीं मिला, तो परिजनों ने डॉक्टर को दिखाना मुनासिब समझा.

आखिरी बार 2002 में डॉक्टर के पास गए थे मोहनलाल

मोहनलाल के परिजनों के द्वारा लगातार 4 से 5 साल तक रीवा, जबलपुर से लेकर दिल्ली, मुंबई तक के डॉक्टर को दिखाया कई प्रकार की जांच कराई लेकिन उनकी इस अजीब बीमारी का कोई पता नही लग पाया. मोहन लाल द्विवेदी ने आखिरी बार 2002 में चिकित्सकों से संपर्क साधा लेकिन इसके बावजूद भी उनकी इस समस्या का निदान नहीं हो सका.

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रिटायर्ड ज्वाइंट कलेक्टर है मोहन लाल द्विवेदी

रिटायर्ड ज्वाइंट कलेक्टर मोहनलाल द्विवेदी का जन्म रीवा जिले के त्योंथर तहसील स्थित जनकहाई गांव में 01 जुलाई 1950 को हुआ था. उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही ली उसके बाद रीवा गए. इस दौरान भी वह कम नींद ही लेते थे, तब रोजाना 2 से 3 घंटे किसी नींद लेते थे. मोहनलाल का कहना है कि 1973 में उनकी लेक्चरर की नौकरी लग गई जिसके कुछ दिन बाद ही जुलाई माह से उनकी नींद गायब हो गई. जिसके बाद वह सरकारी नौकरी छोड़कर रीवा गए और रीवा के टीआरएस कॉलेज में संविदा पर प्रोफेसर बन गए, फिर 1974 में एमपीपीएससी क्वालीफाई कर नायाब तहसीलदार बने और 2001 में ज्वाइंट कलेक्टर बनने के बाद रिटायर हुए.

वर्ष 1973 से ही गायब हुई उनकी नींद

मोहनलाल द्विवेदी का कहना है कि वर्ष 1973 में उनकी लेक्चरर पद पर नौकरी लगी और 1973 में ही जुलाई माह से उनकी नींद गायब हो गई. इसके बाद वह सरकारी नौकरी छोड़कर रीवा के टीआरएस कॉलेज में संविदा पर प्रोफेसर बन गए फिर 1974 में एमपीपीएससी क्वालीफाई किया और सिवनी जिले के लखनादौन मे बतौर नायाब तहसीलदार बनकर पदभार संभाला. वर्ष 1990 में तहसीलदार फिर 1995 में एसडीएम और 2001 में ज्वाइंट कलेक्टर बनने के बाद वह रिटायर हो गए.

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