रीवा। कृषि महाविद्यालय में चल रहे अनुसंधान के बाद कोदो की नई प्रजाति विकसित की गई है. जो ना सिर्फ कम दिनों में पक कर तैयार होगी बल्कि ये कीटों के खतरे से भी मुक्त रहेगी. कृषि महाविद्यालय परिसर के अंदर 3 से 4 एकड़ में हुए इस अनुसंधान को तैयार किया गया है. इसकी सफलता के बाद इसे खेतों में उतारने की तैयारी की जा रही है. जिससे किसानों को काफी फायदा होगा. खास बात ये है कि मौसम परिवर्तन का इस पर असर भी नहीं पड़ेगा. इसे प्रदेश के साथ-साथ बाकी राज्यों में भेजा जाएगा.
कोदो की ये प्रजाति बनेगी कृषि के लिए वरदान, जानें क्या है खासियत
कोदो की जो नई प्रजाति है तैयार की गई है वो सिर्फ 85 से 90 दिनों में पक कर तैयार होगी. साथ ही कीटों का खतरा भी नहीं रहेगा.
कोदो की नई प्रजाति विकसित
कोदो की प्रजाति में ये होगी खासियत:-
- इस नई प्रजाति का नाम जेके-137 नाम रखा गया है.
- 85 से 90 दिनों में पक कर होगी तैयार.
- इससे एक हेक्टेयर में 26 क्विंटल से अधिक की पैदावार होगी.
- कम पानी की निमृता को सहने की भी होगी पूरी क्षमता.
- इसमें कंडवा रोग भी नहीं लगते हैं.
खास बात ये है कि कम पानी में भी इसकी पैदावार पर कोई असर नहीं पड़ेगा. कृषि महाविद्यालय में संचालित अखिल भारतीय समन्वित लघु धान्य परियोजना के द्वारा विकसित की गई है. रीवा में पौधों की ये नई प्रजाति सफल हुई है. इसे प्रदेश के साथ-साथ दूसरे राज्यों में भेजने भी योजना बनाई जा रही है.