रायसेन। भले ही सरकार विकास के कितने भी दावे क्यों न कर ले, पर जमीनी हकीकत से इसका कोई वास्ता नहीं है क्योंकि आज भी बहुत से गांवों को विकास के मायने तक पता नहीं है. कई गांव अलग-थलग पड़े हैं, जबकि तीन गांव के ग्रामीण रोजाना मौत से टकराते हैं, इन गांवों में पहुंचने के लिए बच्चे-बड़े-बूढ़े सबको रोजाना उफनती नदी को रेलवे लाइन के सहारे पार करना पड़ता है. जहां एक छोटी सी चूक भी उन्हें मौत के मुंह में धकेल सकती है. जिसके चलते कई बच्चे हफ्तों तक स्कूल भी नहीं जा पाते हैं.
शिक्षा मंत्री के क्षेत्र में 'रेल पटरी' के सहारे जिंदगी को पटरी पर लाने की जंग, रोजाना मौत से टकराते हैं मासूम
जिस रेल की पटरी करोड़ों यात्रियों को रोजाना ट्रेन के माध्यम से उनके गंतव्य तक पहुंचाती है, उसी पटरी के सहारे जिंदगी को पटरी पर लाने की कोशिश की जा रही है, पर ये कोशिश कभी भी जानलेवा साबित हो सकती है, बावजूद इसके प्रशासन इसका कोई मुकम्मल रास्ता नहीं निकाल पा रहा है.
सांची विकास खंड के गीदगढ़ गांव में ग्रामीणों के साथ स्कूली बच्चे भी रेल पटरी के सहारे अपनी जिंदगी को पटरी पर लाने की कोशिश में लगे हैं. जिसके सहारे वो रोजाना उफनती नदी पार कर स्कूल पहुंचते हैं. जो कभी भी जानलेवा साबित हो सकता है, जबकि सरकार के विकास के दावों की पोल खोलते इस जानलेवा जुगाड़ पर एसडीएम साहब क्या कुछ कह रहे हैं, वो भी आपको सुनवाते हैं.
स्कूल शिक्षा विभाग भले ही हर बच्चे को स्कूल तक पहुंचाने के लिए तमाम नारों-वादों का सहारा ले रहा है, लेकिन उसकी ये कोशिश स्कूल शिक्षा मंत्री प्रभुराम चौधरी के क्षेत्र में ही दम तोड़ती दिख रही है क्योंकि यहां स्कूल तक पहुंचने से पहले मासूमों को खतरों से खेलना पड़ता है, पर ये मासूम करें भी तो क्या भविष्य संवारना है तो रोजाना इन खतरों का सामना करना ही पडे़गा.