मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

आखिर इतना क्यों मजबूर हुआ श्रमिक ?

विद्युत ठेका कंपनी में कार्यरत श्रमिक अपने कार्य के दौरान करंट की चपेट में आ गया, जिसके कारण उसे अपना हाथ खोना पड़ा. ऐसे हालातों में वह न्याय की गुहार लगाते सरकारी चौखटों पर भटक रहा है, लेकिन 8 माह बीत जाने के बाद भी उसे कोई मदद नहीं मिली.

Worker did not get help
श्रमिक को नहीं मिली मदद

By

Published : Mar 3, 2021, 6:42 PM IST

पन्ना। भले ही प्रदेश सरकार श्रमिकों के लिए कई योजनाएं चला रही हों. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद श्रमिकों के लिए बार-बार मंचों के माध्यम से सैकड़ों घोषणाएं करते हों, लेकिन वास्तविक स्थिति में आज भी कोई सुधार नहीं दिखाई दे रहा है. मामला श्रम मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह के विधानसभा क्षेत्र का है, जहां पर एक विद्युत ठेका कंपनी में कार्यरत श्रमिक अपने कार्य के दौरान करंट की चपेट में आ गया. उसे अपना हाथ खोना पड़ा. साथ ही पूरा शरीर कमजोर हो गया, लेकिन ठेका कंपनी द्वारा श्रमिक को इलाज के लिए पैसा नहीं दिया गया. इतना ही नहीं कोई कंपनसेशन भी नहीं दिया गया. ऐसे हालातों में अपंग श्रमिक अपनी पत्नी और पिता के साथ न्याय की गुहार लगाते सरकारी चौखटों पर भटक रहा है, लेकिन 8 माह बीत जाने के बाद भी इस गरीब की किसी ने एक न सुनी.

दर-दर भटकने को मजबूर श्रमिक

वैसे तो जिला राजनीतिक दृष्टिकोण से प्रदेश में नंबर एक पर है, क्योंकि यहां के सांसद वीडी शर्मा सत्ताधारी पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष है. इसी जिले से प्रदेश सरकार की कैबनेट में मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह है, जिनके पास खनिज और श्रम विभाग है, लेकिन जब श्रम मंत्री की विधानसभा क्षेत्र का ही श्रमिक सरकारी सिस्टम से न्याय की गुहार लगाते 8 माह से दर-दर भटक रहा हों, तो भला प्रदेश में श्रमिकों के क्या हाल होंगे ?. इसका अंदाजा इस पीड़ित श्रमिक की दर्द भरी कहानी से लगाया जा सकता है.

श्रमिक को नहीं मिली मदद

रायसेन : अपने ही गांव में मनरेगा से मिल रहा रोजगार, श्रमिकों ने जताई खुशी

विद्युत विभाग में एक डेक्कन नाम की ठेका कंपनी विद्युत सुधार और सप्लाई का काम करती थी, जिसमें रोहित कोरी नाम का श्रमिक काम करता था. जुलाई 2020 में रोहित को कंपनी के द्वारा कहा गया कि एक ट्रांसफार्मर बदलने जाना है. श्रमिक रोहित रोज की तरह अपने काम पर गया. उसने जैसे ही विद्युत ट्रांसफार्मर बदलने के लिए काम शुरू किया, वैसे ही वह करंट की चपेट में आ गया. बेहोशी हालत में उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां से उसे रीवा मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया.

रीवा मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान श्रमिक रोहित कोरी का हाथ काटना पड़ा. इस दौरान न ठेका कंपनी ने उसकी इलाज में मदद की और न ही विद्युत विभाग ने कोई मदद की. जैसे-तैसे पीड़ित के पिता ने घर, जेवर रखकर अपने बेटे का इलाज करवाया. इलाज के बाद जब घर वापिस आया, तो श्रमिक चलने फिरने के काबिल नहीं बचा.

ABOUT THE AUTHOR

...view details