भोपाल/पन्ना। पन्ना के जुगल किशोर मंदिर में पन्ना राजपरिवार की महारानी जीतेश्वरी देवी के विवाद और गिरफ्तारी के बाद अब महाराज छत्रसाल जू द्वितीय महाराज ने वीडियो मैसेज जारी किया है, इस वीडयो मैसेज में उन्होंने मंदिर में हुई पूरी घटना को राजपरिवार के खिलाफ षडयंत्र बताया है. महाराज छत्रसाल जू द्वितीय महाराज ने कहा कि "मुझे पुलिस प्रशासन ने मंदिर में जाने से रोक कर षडयंत्र किया, मेरी मां यानि राजमाता अपने बेटे के साथ ये अन्याय होते नहीं देख पाईं. मंदिर की परंपरा तो उसी दिन टूट गई थी जब एक चंवर हमें और दूसरी मंत्री को दी गई थी. बिना नाम लिए पन्ना महाराज छत्रसाल ने मंत्री ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह का भी जिक्र किया.
पन्ना महाराज का संदेश मेरी मां अपने बेटे को इंसाफ दिलाने गई:महारानी के पुत्र ने कहा कि "जय जय पन्ना नगर वासियों. मैं छत्रसाल द्वितीय राजपरिवार का एक सदस्य. सब लोगों ने जैसा कि देखा एक तरफा कहानी सुनी सबने, जो कि पूरा का पूरा षडयंत्र रचा गया था. मुझे बुलाने निमंत्रण देने पुजारी खुद आते हैं कि आओ परंपरा निभाओ. कलेक्टर साहब के साथ मीटिंग भी होती है, मीटिग में भी बुलाया जाता है और हमें बुलाने के बाद मुझे पुलिस प्रशासन द्वारा रोका गया था. उसके बाद ही मेरी मां मतलब राजमाता साहब मंदिर की तरफ गई थीं, जिससे परंपरा ना टूटे. सबको पता था कि गुस्सा आएगा, अपने बेटे के साथ अन्याय देखते हुए कोई मां कैसे शांत रह सकती है. पूरा षडयंत्र रचा गया था कि पब्लिक में बदनामी हो."
पहले ही टूट गई थी परंपरा:महारानी के पुत्र ने आगे कहा कि "मेरा बस इतना निवेदन गया है आप लोगों से कि ये पूरा षडयंत्र रचा गया, जिस परंपरा की बात करते हैं पुजारी, वो तीन सौ साल पुरानी परंपरा वो दो दिन पहले ही टूट गई थी. बलदाऊ छठ यानि हरछठ के दिन दो-दो चंवर निकाली गई थी, एक हमें दी गई थी और एक मंत्री को दी गई थी. दो चंवर कभी निकली नहीं हैं, परंपरा तो उसी दिन तोड़ दी गई थी इन लोगों के द्वारा और अभी जैसे की ये परंपरा तोड़ने की भी साजिश में थे. फिर भी पन्ना नगर वासियों को मेरा निवेदन है ये जो चीजें हुई ये इससे ठेस पहुंची हो तो मुझे बड़ा दुख है ये सब हुआ, लेकिन अपने अधिकार के लिए लड़ा जाता है ये कृष्ण भगवान ने बताया है. वरना उसका दुख नहीं मनाया जाता, ये कोई नहीं देख रहा कि हमारी मां को धकेला गया. ऐसा तो नहीं था कि आरती को रोक रहे थे, बस परंपरा निभाने गए थे. अब हमारी मां को क्या पता यानि राजमाता को क्या पता कौन सा गर्भगृह है, कैसा चंवर ढुलाया जाता है. ऐसा तो कोई नहीं लिखा कि कैसे चंवर ढुलाते थे."