नीमच। रामपुरा के एक दलित युवक की जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर ली है. याचिका में दलित वर्ग के बड़े अधिकारियों, सांसदों, विधायकों के बच्चों को शासकीय नौकरी में आरक्षण खत्म करने की मांग की गई है. साथ ही ये भी मांग की गई है कि, यदि कोई स्वेच्छा से आरक्षण छोड़ना चाहे, तो उसके लिए भी विकल्प हो. सुप्रीम कोर्ट युवक की जनहित याचिका पर मार्च में सुनवाई करेगा.
दलित युवक ने सुप्रीम कोर्ट मे लगाई PIL, संपन्न दलितों का आरक्षण खत्म करने की मांग
नीमच के एक दलित युवक ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके मांग की है कि, पिछड़े वर्ग से आने वाले अधिकारियों, सांसदों और अधिकारियों के बच्चों को सरकारी नौकरियों में मिलने वाला आरक्षण खत्म किया जाए.
विक्रम बागड़े का कहना है कि, उसके पिता केशरीमल एक छात्रावास में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हैं. विक्रम वर्तमान में LLB प्रथम वर्ष के छात्र हैं. विक्रम ने ITI कंप्यूटर में DCA और BA कर रखा है. इनकी आर्थिक स्तिथि भी निम्न है, लेकिन फिर भी इन्होंने 12वीं के बाद दलित आरक्षण के किसी भी फायदे का लाभ नहीं लिया है. कॉलेज से ना तो छात्रवृत्ति ली और ना ही आरक्षण कोटे से किसी शासकीय नौकरी को ही पाने की कोशिश की.
याचिकाकर्ता विक्रम बागड़े का कहना है कि, हमारे देश में यह व्यवस्था होनी चाहिए कि, जो दलित व्यक्ति अपनी स्वेच्छा से आरक्षण का फायदा छोड़ना चाहता है, वो छोड़ सके. जैसे लोग गैस की सब्सिडी देश हित मे छोड़ते हैं. विक्रम बागड़े ने 25 जनवरी 2020 को सुप्रीम कोर्ट में इसी को लेकर एक जनहित याचिका लगाई थी. जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 2 फरवरी 2020 को मंजूर कर लिया गया है. अब सुप्रीम कोर्ट इस पर मार्च में सुनवाई करेगा.