नीमच। मध्यप्रदेश में बारिश के बाद आई तबाही का मंजर अब साफ दिखने लगा है क्योंकि बारिश बंद होने के चलते धीरे-धीरे पानी कम होने लगा है, जिससे लोगों के जान में जान आ रही है. रामपुरा सहित कई गांवों के लोग बर्बादी का दंश झेल रहे हैं. जिधर नजर घुमाओ, तबाही का मंजर ही नजर आता है, लोगो के पास कपड़े-खाने के लिए कुछ भी नहीं बचा है, जो कुछ बचा था, उस पर चोर हाथ साफ कर गये. इसके बावजूद लोग जिंदगी को फिर से पटरी पर लाने की कोशिश में जुटे हैं.
बारिश थमते ही दिखा तबाही का मंजर, गृहस्थी-खेती सब चौपट, पांव पसारने लगी बीमारी
बारिश के पानी में जहां आवाम के सपने बह गये, वहीं गृहस्थी से लेकर खेती-बाड़ी तक सब चौपट हो चुकी है, बाढ़ का पानी कम होने के बाद अब संक्रामक बीमारियों का डर सताने लगा है.
घर का बचा-खुचा सामान धूप में सुखाकर सहेजने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि प्रशासन लोगों की समस्याओं का समाधान करने में सुस्ती दिखा रहा है. किसान फसलों के नुकसान को लेकर बेहद चिंतित हैं. यहां तक कि सड़े हुए माल को फेंकवाने तक के लिए 15 से लेकर 40 हजार रुपए भाड़ा व्यापारियों को चुकाना पड़ रहा है. पानी भरने से नगर में महामारी फैलने की आशंका के चलते तरह-तरह के उपाय किये जा रहे हैं.
बाढ़ प्रभावित गावों के लोग धार्मिक संस्थाओं, स्कूलों, पंचायतों व स्थानीय मांगलिक भवनों में रह रहे हैं, जबकि प्रशासन और समाज सेवी संस्थाओं से मिली खाद्य सामग्री से ही अपनी भूख मिटा रहे हैं. दान के कपड़े पहनने को मजबूर हैं. धार्मिक संस्थाएं दवाइयों से लेकर कॉपी-किताब, खाने-पीने और कपड़ों का इंतजाम कर रही हैं.
सरकार ने मदद का भरोसा तो दिया है, लेकिन अभी तक इन वादों पर सरकार खरी नहीं उतरी है. लोग अपनी जिंदगी को दोबारा पटरी पर लाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं.