नरसिंहपुर। पूरेदेश में श्रावाण माह के दौरान लोग भगवान भोलेनाथ की आराधना करते हैं. वैसे तो भोलेनाथ के कई शिवालय अपनी महिमा के लिए प्रसिद्ध हैं. ऐसा ही एक मंदिर नरसिंहपुर में है, जहां स्थापित शिवलिंग हर साल एक इंच बढ़ जाती है. नरसिंहपुर का ये मंदिर जंभेश्वर महादेव मंदिर और मोटे महादेव के नाम से प्रसिद्ध है. जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर मां नर्मदा के उत्तर तट की सुदूर वादियों में स्थित मलाह पिपरिया गांव में विराजमान 'मोटे महादेव' अपने भक्तों की सभी मुरादें पूरी करते हैं.
मंदिर के बारे में कहा जाता है कि जब मोटे महादेव यहां विराजमान हुए थे, तब वो छोटे से पिंडी के आकार में थे, धीरे-धीरे उनका आकार बढ़ता गया और आज उनका आकार साढ़े चार फीट ऊंचाई और साढ़े 11 फीट मोटा हो गया है. पंडित गुलाब गोस्वामी बताते हैं कि नर्मदा तट पर बसे मलाह पिपरिया गांव में रहने वाले मालगुजार धुरंधर चौधरी को भगवान भोलेनाथ का स्वप्न आया था. जिसके आधार पर वे हिनोतिया के जंगलों से शिवलिंग लेकर आए और यहां स्थापना करा दी थी.
अंग्रजों ने की थी शिवलिंग की मांग
पंडित गुलाब गोस्वामी ने इस मंदिर और शिवलिंग के इतिहास के कहा कि अंग्रेज शासनकाल में इस मूर्ति की स्थापना की गई थी. जैसे ही अंग्रेजों को इसके बारे में जानकारी मिली तो उन्होंने इस शिवलिंग की पुजारी से मांग की थी, जिसे देने से पुजारी ने मना कर दिया था. कहा जाता है कि अंग्रेजों का ऐसा मानना था कि इस शिवलिंग के अंदर मणि है, लेकिन मालगुजार और उनके पूर्वजों ने इस शिवलिंग को अंग्रेजों को देने से मना कर दिया था.