नरसिंहपुर।जिले में इन दिनों सरकारी अस्पताल में कमिशनखोरी का धंधा जोरो पर है. गोटेगांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में यह धंधा रुकने का नाम नहीं ले रहा है. घायल और रेफर मरीजों को लाने और ले जाने में एंबुलेंस चालकों को केवल दिहाड़ी ही मिलती है, लेकिन कुछ अस्पतालों से एंबुलेंस चालक को मरीजों लाने पर मोटा कमीशन भी मिलता हैं. इस कमीशन के लिए एंबुलेंस चालकों में कई बार मारपीट की घटनाएं भी हो चुकी हैं. सरकारी हो या प्राइवेट सभी जगह से रेफर हुए मरीजों को अपनी गाड़ियों में ले जाने के लिए एंबुलेंस चालक मारपीट करने से भी पीछे नहीं रहते.
गोटेगांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में नई बिल्डिंग बनकर तैयार तो हो गई. लेकिन आज भी रेफर सेंटर बना हुआ है. जहां लोगों को इलाज ठीक तरह से नहीं मिल पाने के कारण छोटी-छोटी दुर्घटना बीमारियों मामलों में भी नरसिंहपुर जबलपुर रेफर कर दिया जाता है.
- एंबुलेंस के साथ डॉक्टरों का भी कमीशन
हालत तो इतने खराब हो चुके है कि, रेफर करने के लिए कुछ एंबुलेंस चालकों ने डॉक्टरों को भी कमीशन में शामिल किया हैं. इसी के चलते गोटेगांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से घायल मरीज या मामूली चोट खाए हुए मरीजों को 108 से कम प्राइवेट एंबुलेंस से ज्यादा जबलपुर रेफर किया जाता है. जिससे प्राइवेट एंबुलेंस का कमीशन तो बनता है. साथ ही डॉक्टरों का भी कमीशन बनता है.
- जबलपुर के निजी अस्पताल में मरीज हो रहे रेफर