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'घर पर ही मनाएं होली': केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल

केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री प्रहलाद पटेल गुरुवार को अपने गृह नगर पहुंचे. जहां उन्होंने कोरोना काल के चलते होली का त्यौहार मनाने को लेकर कहा कि "हमारे जितने भी त्यौहार हैं, वह आनंद और उत्सव के लिए हैं. लेकिन हमेशा से हमारे बुजुर्ग हमें सावधानी बरतने की नसीहत देते रहे हैं.

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Published : Mar 25, 2021, 5:34 PM IST

Celebrate Holi festival at home
घर में रहकर ही होली त्यौहार मनाएं

नरसिंहपुर। केंद्रीय पर्यटन एंव संस्कृति मंत्री पहलाद पटेल गुरुवार को अपने गृह नगर पहुंचे. जहां उन्होंने कोरोना काल के चलते होली का त्यौहार मनाने को लेकर कहा कि "हमारे जितने भी त्यौहार हैं, वह आनंद और उत्सव के लिए हैं. लेकिन हमेशा से हमारे बुजुर्ग हमें सावधानी बरतने की नसीहत देते रहे हैं. होली उत्साह से मनाएं मगर सार्वजनिक स्थल पर इस बात का ध्यान रखें कि एक व्यक्ति की गलती से बाकी दूसरों लोगों का नुकसान न हो जाए. होली का त्यौहार तो और ज्यादा उमंग का त्यौहार है. उमंग हो, उत्साह हो मगर उसे घर के भीतर ही मनाएं. मर्यादित रहे सार्वजनिक तौर पर इकट्ठे होकर जैसे हम त्यौहार मनाते थे, उससे इस बार हमें बचना चाहिए."

'घर पर ही मनाएं होली'- केंद्रीय मंत्री

कृषि मंत्री की अपील,- घरों में ही मनाएं होली

  • आजादी आनंद उत्सव पर बोले संस्कृति मंत्री

वहीं केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री ने देशभर में मनाए जा रहे आजादी आनंद उत्सव को लेकर कहा कि '12 मार्च से आजादी के 75 वर्ष का जो अमृत महोत्सव पूरा देश मना रहा है. हर सप्ताह और बीच में जो विशिष्ट तिथियां हैं. उनमें कार्यक्रम होने हैं. पूरे देश में लगभग साढ़े पांच सौ जिलों में इन 75 सप्ताह में कार्यक्रम करने हैं. प्रधानमंत्री का आह्वान है कि जो गुमनाम शहीद हैं जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना बलिदान दिया. लेकिन उन्हें इतिहास में कोई स्थान नहीं मिला.' ऐसे लोगों को जरूर उनके स्थानों पर उसे अवश्य मनाना चाहिए. जैसे नरसिंहपुर जिले में राजा ह्रदयशाह 1842 की क्रांति के वह अगुआ थे. लेकिन उनके साथ लगभग डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों पर इनाम था और उन्हें शहादत भी मिली उनके पुत्र का तो पता ही नहीं चला कि वह कहां गए. उनके भाई को फांसी हुई और ने लड़ाई लड़ी 1842 से 1858 तक मगर मुझे नहीं लगता इस जिले में या बाकी अन्य जिलों में इस बारे में कभी चर्चा हुई है. मगर बुंदेला विद्रोह के बारे में अवश्य चर्चा होती है और मुझे लगता है कि ऐसे स्थानों को प्रकाश में लाने की जरूरत है.'

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