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लॉकडाउन में थमा परिवहन, एक हजार से अधिक परिवार हुए प्रभावित

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Published : Apr 10, 2020, 6:50 PM IST

देशभर में लगे लॉकडाउन और परिवहन में रोक का असर मुरैना के ऑटो और कैब चालकों पर भी पड़ रहा है, यहां परिवहन सेवा पूरी तरह से बंद होने के कारण तकरीबन 5 सौ से ज्यादा ऑटो, टैक्सी और कैब चलना बंद हो गई हैं.

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लॉकडाउन में थमा परिवहन

मुरैना।देशभर में लगे लॉकडाउन और परिवहन में रोक का असर मुरैना के ऑटो और कैब चालकों पर भी पड़ रहा है, यहां परिवहन सेवा पूरी तरह से बंद होने के कारण तकरीबन 5 सौ से ज्यादा ऑटो, टैक्सी और कैब चलना बंद हो गई हैं, जिससे तकरीबन एक हजार परिवारों पर असर पड़ा है. एक ओर गाड़ी मालिकों के पास बैंकों की किस्त भरने का दबाव है तो दूसरी ओर इस व्यवसाय से जुड़े टैक्सी मालिक और ड्राइवर को रोजगार और परिवार के पोषण की चिंता सता रही है.

लॉकडाउन में थमा परिवहन

केंद्र के आदेशों का क्या होगा असर

कहने के लिए तो केंद्र और राज्य सरकारों और सभी कंपनी और व्यावसायियों से कर्मचारी को वेतन नहीं काटने की बात कही है. लेकिन मुरैना जैसे छोटे जिले में ना तो कोई अधिकृत ट्रैवल एजेंसी संचालित होती हैं न ही कोई कोई बड़ी कंपनी काम करती है, जहां केंद्र सरकार के इस बात का कोई असर करता हो. यहां तो सिर्फ कुछ से वाहन मालिक और ड्राइवर का का परिवार चलता है, इसे में लॉकडाउन के दौरान दोनों पर ही जीविका का संकट आ गया है.

एक हजार परिवार हुए प्रभावित

पड़ताल में सामने आया कि मुरैना जिले में 5 सौ से अधिक चार पहिया वाहन टैक्सी कैब के रूप में पंजीकृत हैं. लेकिन लॉकडाउन के कारण सभी लोग अपने घरों पर कैद हैं, जिससे इन टैक्सी के मालिक और चालकों के परिवार आर्थिक रूप से प्रभावित हो रहे हैं. टैक्सी कैब बंद होने से स्थानीय बाजार पर लाखों रुपए प्रतिदिन का कारोबार प्रभावित हो रहा है. एक टैक्सी से जुड़ा माल भाड़ा, पेट्रोल पंप, ऑटोमोबाइल सर्विस सेंटर सहित अनेक लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हो रहे हैं.

लॉकडाउन में थमा परिवहन
ब्याज भरने की चिंतासरकार ने बैंक और निजी फाइनेंस कंपनियों को 3 माह तक लोन नहीं वसीलने के लिए निर्देश जारी किए हैं, लेकिन रिजर्व बैंक और सरकार ने निर्देशों में ना तो ब्याज में किसी तरह का रिलैक्सेशन होगा और न ही कोई और छूट मिलेगी. इस तरह से महीनों खाली बैठने के बाद एक साथ इतना कर्ज चुकाना भी बड़ी चुनौती है, क्योकी इसके अलावा कई खर्चे है, जो लॉकडाउन के बाद सामने खड़े हैं.

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