ग्वालियर। ग्वालियर अंचल की मुरैना लोकसभा सीट पिछले 28 साल से बीजेपी का गढ़बनी हुई है. साल 1991 के बाद से कांग्रेस को इस सीट से हमेशा शिकस्त ही मिली है. लेकिन, विधानसभा चुनाव में मुरैना जिले की 6 में से 6 सीट जीतने के बाद कांग्रेसका उत्साह बढ़ गया है. इसलिए कांग्रेस लोकसभा चुनाव में इस सीट पर जीत हासिल करने का दावा कर रही है.
बीजेपी ने कांग्रेस से अपने गढ़ को बचाने के लिए लोकसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को इस सीट से उतारा है. वहीं कांग्रेस बीजेपी के इस गढ़ को भेदने के लिए दमदार उम्मीदवार की तलाश कर रही है. इस सीट पर जीत हासिल करना केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के लिए आसान नहीं होगा. विधानसभा में कांग्रेस का बेहतर प्रदर्शन, अपनों की नाराजगी और एट्रोसिटी एक्ट यह तीनों मसले बीजेपी की जीत की राह में रोड़ा बन सकते हैं.
मुरैना लोकसभा सीट पर मुकाबला दिलचस्प मुरैना लोकसभा सीट के लिए नरेंद्र सिंह तोमर नए नहीं हैं, जहां नरेंद्र सिंह तोमर का पैतृक गांव आरोठी इसी लोकसभा में पड़ता है तो वहीं साल 2009 में उन्होंने इसी सीट से चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के रामनिवास रावत को लगभग एक लाख 29 हजार वोट से शिकस्त दी थी. इसके बाद नरेंद्र सिंह तोमर ने ग्वालियर का रुख किया, 2014 में मोदी लहर होने के बावजूद अनूप मिश्रा इस सीट से महज 29 हजार वोटों से ही जीत पाए थे.
कांग्रेस ने केंद्रिय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की सीट बदले जाने पर तंज कसा है. कांग्रेस का कहना है कि अभी तो वो मुरैना आए हैं. वो इतने डरे हुए हैं कि आने वाले समय में इस सीट को भी छोड़कर कहीं और चले जाएंगे. वहीं नरेंद्र सिंह तोमर का इस बारे में कहना है कि पार्टी ने निर्णय लिया है कि उन्हें मुरैना से लड़ना है. उन्होंने दावा किया है कि इस मुरैना और ग्वालियर लोकसभा सीट से बीजेपी की जीत पक्की है.