गयाः बिहार के गया की मधुमक्खियां (Honeybee of Bihar will go Madhya Pradesh) अब मध्य प्रदेश जाएंगी. यह सुनने में अजीबोगरीब जरूर लगता है, लेकिन यह सच है. दरअसल मधुमक्खियों के परागण से किसी भी फसल की क्षमता बढ़ती है और पैदावार में बढ़ोतरी होती है. वहीं परागण के बाद मधुमक्खियां शहद काफी छोड़ती हैं. इस तरह शहद का पालन करने वाले किसानों के लिए लाखों के लाभ का सौदा होता है. यही वजह है कि सरसों का उत्पादन करने वाले किसान और मधुमक्खी पालक चितरंजन कुमार (Beekeeper Chittaranjan Kumar) मधुमक्खी के 12 सौ बॉक्स लेकर मध्य प्रदेश जा रहे हैं. जहां इसकी काफी डिमांड है.
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मधुमक्खी पालन के विशेषज्ञ हैं चितरंजनःगया के चितरंजन कुमार परैया के मरांची गांव के रहने वाले हैं. जो बिहार में मधुमक्खी पालन (Beekeeping in bihar) के विशेषज्ञ माने जाते हैं. यही वजह है कि तरह-तरह के प्रयोग करने के बाद अब मध्यप्रदेश को जा रहे हैं. यह अपने साथ 1200 मधुमक्खी की पेटियां भी ले जाएंगे. इनका मकसद मधुमक्खी को वहां ले जाकर शहद का ज्यादा से ज्यादा उत्पादन करना है. ऐसा करके वे 10 से 12 लाख तक की आमद कर लेंगे. मध्यप्रदेश के भिंड व अन्य क्षेत्रों में ऐसा किया जाएगा. इससे सरसों की खेती करने वाले एमपी के किसानों को भी फायदा होगा, तो गया के मधुमक्खी पालक भी खुश होंगे.
भिंड मुरैना का होगा 3 महीने का ट्रिप मध्य प्रदेश जा रही गया की मधुमक्खियांः इसका फायदा वहां के वैसे किसान जो सरसों की फसल लगाते हैं, उनको होगा तो वहीं दूसरी ओर गया से मधुमक्खियों की पेटियां ले जाने वाले मधुमक्खी पालकों को भी इसका बड़ा लाभ होगा. दरअसल मध्य प्रदेश के किसान यह जानते हैं कि मधुमक्खियों के परागण से उनकी सरसों की फसल में बढ़ोतरी होगी, जिससे सरसों फसल से अच्छी आमदनी हो सकेगी. वहीं गया के मधुमक्खी पालक किसान भी यह जानते हैं कि सरसों के फसल के परागण के बाद मधुमक्खियां ज्यादा शहद दे सकेगी. ऐसे में उनका लाभ काफी बढ़ जाता है और उनकी आमदनी लाखों में हो जाती है.
परागण के बादलाखों की होगी आमदनीःमधुमक्खी पालक चितरंजन कुमार बताते हैं कि 1 पेटी से करीब 25 किलो का उत्पादन मधुमक्खियों के परागण के बाद कर सकेंगे. ऐसे में 1200 पेटियां हैं, तो करीब 25000 किलो से भी ज्यादा शहद का उत्पादन कर सकेंगे. आज भी विशुद्ध शहद की कीमत अच्छे बाजारों में 400 से 700 रुपये प्रति किलो है. ऐसे में इनका विशुद्ध लाभ कई लाखों का हो जाएगा. चितरंजन कुमार कहते हैं कि ऐसा वे दूसरी दफा कर रहे हैं.
क्यों यह तकनीक आजमाईःकिसान चितरंजन कुमार बताते हैं कि "उन्हें मधुमक्खियों के पालन में पहली बार हानि हुई तो उन्होंने प्रयोग करना शुरू किया. इस क्रम में सरसों की खेती में मधुमक्खियों के परागण की बात सामने आई. इसके बाद वहां के किसानों से संपर्क साधा तो वह भी तैयार हो गए. वहां के किसान वैज्ञानिक रूप से जानते हैं कि मधुमक्खियों के परागण से सरसों की फसल की पैदावार में बढ़ोतरी होगी. यही वजह है कि अब गया की मधुमक्खियां मध्य प्रदेश जाएगी और 3 महीने रह कर शहद का बड़ा उत्पादन कर लिया जाएगा. वहीं मध्यप्रदेश के किसान अपनी फसल की पैदावार बढ़ाकर खुशहाल होंगे''.
"1 पेटी से करीब 25 किलो का उत्पादन मधुमक्खियों के परागण होगा. 1200 पेटियां हैं, तो करीब 25000 किलो से भी ज्यादा शहद का उत्पादन कर सकेंगे. आज भी विशुद्ध शहद की कीमत अच्छे बाजारों में 400 से 700 रुपये प्रति किलो है. मधुमक्खियों के पालन में पहली बार हानि हुई तो एमपी के किसानों से संपर्क साधा तो वह भी तैयार हो गए. वहां के किसान वैज्ञानिक रूप से जानते हैं कि मधुमक्खियों के परागण से सरसों की फसल की पैदावार में बढ़ोतरी होगी"- चितरंजन कुमार, मधुमक्खी पालक
बाराचट्टी में होता है मधुमक्खी पालनःआपको बता दें कि गया जिले के बाराचट्टी के दहियार गांव में भी बड़े पैमाने पर मधुमक्खी का पालन हो रहा है. यहां करीब 300 पेटियां में मधुमक्खी पालन कर शहद उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसमें काफी संख्या में जीविका के माध्यम से महिलाएं भी जुड़ी हुई है. दहियार गांव की बसंती देवी बताती हैं कि अब मधुमक्खी पालन से अच्छी आमदनी हो रही है. परिवार में भी सहयोग कर रहे हैं.