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7 करोड़ साल पुराने डायनासोर के अंडों की किसी को नहीं फ्रिक, देखिए ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट

करोड़ों साल पुराने जीवाश्मों को लेकर शासन, प्रशासन कितना गंभीर है. इसका एक नजारा मंडला में देखने को मिला है. रेलवे लाइन बिछाने के लिए सड़क बन रही है लेकिन करीब 7 करोड़ साल पुराने डायनासोर के अंडों की किसी को फ्रिक नहीं है. देखिए पूरी रिपोर्ट...

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Published : Feb 15, 2020, 9:28 PM IST

Updated : Feb 15, 2020, 11:19 PM IST

special story on dinosaur eggs
डायनासोर के अंडे

मंडला। जंगल से लगे इस रास्ते के दोनों किनारे पड़ी ये मिट्टी, आम मिट्टी नहीं है. ये करीब 7 करोड़ साल पुरानी वह विरासत है, जिसे जितना संरक्षित किया जाए कम होगा, लेकिन तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि इस ऐतिहासिक धरोहर का आज क्या हाल है. सड़क पर पड़े गोल आकार के ये अंडे डायनासोर के बताए जा रहे हैं.

मंडला में मिले डायनासोर के अंडे

ये नजारा मध्यप्रदेश के आदिवासी जिले मंडला जिले का है, जिसे जीवाश्मों का मक्का कहा जाता है, क्योंकि यहां कई प्रकार के जीवाश्म पाए जाते हैं, लेकिन अफसोस कि रेलवे लाइन निर्माण के लिए बनाई जा रही सड़क के उपयोग में करोड़ों साल पुराने जीवाश्म को संवारने की बजाय नष्ट किया जा रहा है. ईटीवी भारत ने मौके पर जाकर इस पूरे मामले की पड़ताल की है.

जीवाश्म विषेशज्ञ से खास बातचीत

मोहनटोला क्षेत्र से लाई जा रही मुरम

रेलवे लाइन निर्माण के लिए बनाई जा रही सड़क के लिए मंडला जिले के मोहनटोला क्षेत्र से मुरम लाई जा रही है. मोहनटोला क्षेत्र में करोड़ों साल पहले शाकाहारी और मांसाहारी डायनोसोर की धमक सुनाई देती थी, जिसकी गवाही यहां की पहाड़ियों से निकलने वाली निशानियां दे रही हैं. इस बात को खुद पुरात्तव अधिकारी हेमन्तिका स्वीकारती हैं.

डायनासोर के अंडे

जीवाश्म विषेशज्ञ ने की पुष्टि

ईटीवी भारत की टीम देश-विदेशों में जीवश्मों पर शोध कर चुके जीवाश्म विषेशज्ञ प्रशांत श्रीवास्तव को अपने साथ मौके पर लेकर गई, जिन्होंने खुद इस बात की पुष्टि की सड़क निर्माण में उपयोग लाई जा रही मुरम में डायनासोर के अंडों का उपयोग किया जा है.

जीवाश्म विषेशज्ञ प्रशांत श्रीवास्तव
मिट्टी के बीच पड़े डायनासोर के अंडे

कब उठाए जाएंगे ठोस कदम?

घुघवा जीवाश्म पार्क के अलावा स्थानीय जिला प्रसासन ने जीवाश्म के दूसरे स्थानों को संरक्षित नहीं किया. यही वजह है कि ये अंडे आज खुले में पड़े हैं. अब सवाल है कि शासन प्रशासन कब इन अंडों के नष्ट होने का इंतजार करेगा या फिर संरक्षण के लिए कोई ठोस कदम उठाएगा.

Last Updated : Feb 15, 2020, 11:19 PM IST

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