दमोह/मंडला। ऊपर से आग उगलता सूरज, नीचे दहकती धरती और सूखते जल स्रोत जन-जन के लिए संकट खड़ा कर रहे हैं. भीषण गर्मी के चलते पानी के लिए हाहाकार मचा है, इंसान ही नहीं जीव-जंतु भी प्यास से व्याकुल हैं, कई जगहों पर लोग बड़ी मुश्किल से बूंद-बूंद पानी जुटा कर गला तर कर रहे हैं. तो आदिवासी बाहुल्य मंडला के बीजाडांडी विकास खंड और दमोह के पथरिया से सटे लखरोनी में लोग एक बूंद पानी को तरस रहे हैं. नल से पानी नहीं आ रहा और कुएं सूख चुके हैं, कुछ कुओं में थोड़ा-थोड़ा पानी झरता रहता है, जिस पर दर्जनों लोग नजरें गड़ाये रहते हैं, जिसके लिए इन्हें पूरी रात जागना पड़ता है.
भीषण गर्मी से सूखने लगे कुएं-नल, प्यास से व्याकुल जन-जन
गर्मी बढ़ते ही बुंदेलखंड के ज्यादातर हिस्सों में पानी की किल्लत बढ़ने लगी है, लोग पूरी रात जागकर बूंद-बूंद पानी का इंतजार कर रहे हैं, जबकि पानी के लिए कई किमी का फासला भी तय कर रहे हैं. बच्चे, बूढ़े, बुजुर्ग सब पूरे दिन पानी की तलाश में ही भटक रहे हैं और सरकार है कि कोई सुध ही नहीं ले रही.
किस तरह लोग पानी के लिए पूरी रात जाग रहे हैं और कुएं की तह से झर रहे एक-एक बूंद का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं क्योंकि यहां पानी नहीं मिला तो उन्हें तीन किलोमीटर का फासला तय करना पड़ेगा, तब कहीं जाकर उनकी प्यास बुझेगी. यही वजह है कि क्या बच्चे क्या बड़े और क्या बूढ़े, सब के सब दिन भर पानी की तलाश में भटकते रहते हैं और तमाम शिकायतों के बावजूद प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है.
बुंदेलखंड के ज्यादातर इलाकों में पानी की किल्लत कोई नई बात नहीं है, हर चुनाव-हर मौके पर बुंदेलखंड की प्यास बुझाने के वादे-दावे होते रहे हैं, लेकिन आज तक बुंदेलखंड की प्यास बुझी नहीं. अब सरकार इनकी सुध लेती है या इन्हें इनके हाल पर छोड़ देती है, ये तो वक्त ही बतायेगा.