मण्डला| केहरपुर गांव में रहने वाली संस्कृति बाजपेयी स्पेशल चाइल्ड स्कूल में पढ़ती है. संस्कृति बोल सुन नहीं पाती लेकिन इस बच्ची को कोई चित्र एक बार दिखा दिया जाए फिर वो उसकी हूबहू कॉपी बना देती है. इसके अलावा वो जो अपने मन से सोच कर बनाती है वो कला की उस साधना का बेजोड़ उदाहरण है जिसका ककहरा ये नन्ही कलाकार अभी पढ़ रही है.
बोल-सुन नहीं पाती संस्कृति, रंगों से व्यक्त करती है अपनी भावनाएं - mandla
संस्कृति बाजपेयी स्पेशल चाइल्ड है और वो अभी स्कूल में पढ़ती है. संस्कृति बोल सुन नहीं पाती लेकिन इस बच्ची को कोई चित्र एक बार दिखा दिया जाए फिर वो उसकी हूबहू कॉपी बना देती है.
संस्कृति बाजपेयी स्पेशल चाइल्ड स्कूल में पांचवी क्लास की स्टूडेंट है जो पढ़ाई में हमेशा टॉप करती है. लेकिन संस्कृति ने मन के भावों को व्यक्त करने के लिए उसने रंगों की दुनिया को खुद ही सजाना शुरू कर दिया है. संस्कृति की पढ़ाई स्पेशल चाईल्ड स्कूल में चल रही है और यहां सभी बच्चे किसी न किसी तरह से डिसएबल हैं.
इस कलाकार को न तो सुनाई देता न ही ये कुछ बोल पाती है, लेकिन इसकी आंखों की चमक बताती है कि ये कल की वो कलाकार है जो आज मन ही मन कई बड़े सपने देख रही है.