मंडला। साल 2019 की शुरूआत मंडला जिले की राजनीति में उठल-पुधल भरी रही. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में यहां से सांसद रहे फग्गन सिंह कुलस्ते 2018 के विधानसभा चुनावों में अपने संसदीय क्षेत्र की 8 में से सिर्फ 2 सीटें ही बीजेपी को जिता पाए. वहीं तीन बार निवास विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे, उनके छोटे भाई रामप्यारे कुलस्ते को भी चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा था.
भाई की हार को फग्गन सिंह कुलस्ते की जमीन खिसकने जैसा देखा जाने लगा क्योंकि 28 हजार वोटों से कांग्रेस के डॉ अशोक मर्सकोले ने कुलस्ते के गढ़ में उनके छोटे भाई को पटखनी दी थी. अब चुनौती भरी राह कुलस्ते के लिए थी क्योंकि संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस ने सेंध लगा दी थी.
बीजेपी ने फिर जताया कुलस्ते पर भरोसा
लोकसभा चुनाव की शुरुआत के पहले ही फग्गन सिंह कुलस्ते एक निजी चैनल के स्टिंग ऑपरेशन में फंसते हुए नजर आए, जिसकी काफी चर्चा भी हुई. बावजूद इसके बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में फिर से फग्गन सिंह कुलस्ते पर दांव खेला.
चर्चा तो यह भी थी कि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष को फग्गन सिंह कुलस्ते के खिलाफ मंडला संसदीय क्षेत्र से मैदान पर उतार सकती है, जिनके नाम का पर्चा भी खरीदा जा चुका था. लेकिन तबीयत का हवाला देते हुए गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने अपना प्रत्याशी बदल दिया.
दूसरी तरफ फग्गन सिंह कुलस्ते के खिलाफ प्रत्याशी उतारने में कांग्रेस को भी काफी समय लगा. कई चेहरों के बीच आखिरकार कांग्रेस ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी में रहे और उसे छोड़ कर कांग्रेस ज्वाइन किए कमल सिंह मरावी को अपना प्रत्याशी बनाया, जिनके बीच मुकाबला तगड़ा लग रहा था.